भारत के ऑटो कंपोनेंट सेक्टर में हो सकता है जल्द सुधार, त्योहारों के सीजन में है उम्मीद
हम आत्मनिर्भर भारत तभी हासिल कर सकते है, जब 8 से 10 वर्ष का स्पष्ट रोडमैप उपलब्ध हो, और पैमाने की अर्थव्यवस्थाएं प्राप्त हो जाएं.
भारत के ऑटो पार्ट्स उद्योग को उम्मीद है कि आने वाले त्योहारों के सीजन में ग्रामीण बाजारों और निचले बेस के आधार पर उद्योग एक बार फिर प्री- कोरोना प्रोडक्शन वाली रफ्तार पकड़ सकता है. ACMA के महानिदेशक विन्नी मेहता के अनुसार धीरे धीरे सबकुछ ट्रैक पर आने के बाद सप्लाई चेन में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी.
इंडस्ट्री का प्रदर्शन एक बार फिर पिछले साल की तरह वापस आ सकता है. ऑटो कंपोनेंट और वाहन उद्योग 'गहरे-स्थानीयकरण' और आयात सब्सीट्यूशन के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप निर्माताओं द्वारा उच्च मूल्य वृद्धि होगी, मांग पैदा होगी और प्रोडक्टिविटी में वृद्धि होगी.
उन्होंने आगे कहा कि सप्लाई साइड को अच्छी तरह से संबोधित किया गया है. ऑटो और ऑटो कंपोनेंट उद्योग को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए, वाहनों की मांग बनाने की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि निर्यात पर भी जोर दिया गया है. हम आगे सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह इस क्षेत्र में प्रासंगिक नीतियों जैसे जीएसटी में कमी और कटौती का समर्थन करेगी जिससे मांग को मजबूत करने में मदद मिलेगी.
ग्रामीण बाजारों में उछाल, 'रबी' की फसल, बेहतर कृषि समर्थन मूल्य और अब एक स्वस्थ मानसून के नेतृत्व में मोटर वाहन क्षेत्र के पुनरुद्धार में अब तक एक प्रमुख हिस्सा रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि, हम आत्मनिर्भर भारत तभी हासिल कर सकते है, जब 8 से 10 वर्ष का स्पष्ट रोडमैप उपलब्ध हो, और पैमाने की अर्थव्यवस्थाएं प्राप्त हो जाएं. फिलहाल जो भी प्रोडक्शन है उसके लिए हमारे पास लेबर हैं लेकिन अगर हम इसे और बढ़ाते हैं और लेबर वापस लौटकर नहीं आता है तो हमारे लिए दिक्तत हो सकती है.
स्थानीय लॉकडाउन भी उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं क्योंकि लोगों की आवाजाही गंभीर रूप से प्रतिबंधित हो जाती है और कार्यबल के लिए कारखानों तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण होता है.
उन्होंने अंत में कहा कि, मोटर वाहन क्षेत्र में पहले की अपेक्षा तेजी से रिकवरी दर की बढ़ोतरी देखने को मिली है और ऐसा सिर्फ अनलॉक फेस के दौरान ही हो पाया है.