Penalty for Emission Norms: उत्सर्जन मानकों के उल्लंघन के चलते, दिग्गज ऑटोमेकर्स की गर्दन पर लटकी तगड़े 'जुर्माने की तलवार'
महिंद्रा एंड महिंद्रा पर भी जुर्माने का खतरा है. हालांकि कंपनी ने सरकार को संकेत दिया है, कि उसके बेड़े का उत्सर्जन जनवरी-मार्च 2023 के समय में तय सीमा के भीतर है.
Emission Norms: ऐसे समय में जब देश के कई शहर पॉल्यूशन की गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं, तब सरकार ने हुंडई, किआ, होंडा कार्स, रेनॉ, स्कोडा ऑटो, फॉक्सवैगन इंडिया और निसान जैसी दिग्गज ऑटोमोबाइल मैन्युफक्चरर की गाड़ियों के बेड़े का उत्सर्जन लेवल तय मानक से ज्यादा पाया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्यूरो ऑफ एनर्जी इफिशिएंसी (बीईई) ने नियमों के उल्लंघन के चलते लिए कंपनियों के खिलाफ सैकड़ों करोड़ रुपए के जुर्माने की सिफारिश की है. साथ ही ऑटोमेकर्स को अब निर्धारित सीमा के भीतर रहते हुए हरित और कम प्रदूषण वाली गाड़ियों के लिए तुरंत प्रयास करने होंगे.
कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल इकोनॉमी (CAFE) नॉर्म्स के अपग्रेड के चलते लगाया गया है. ये जुर्माना इसी साल जनवरी से लागू है. मानकों के तहत, कार्बन डाइऑक्साइड के कुल उत्सर्जन की लिमिट तय की गई हैं, जिसे व्यक्तिगत मॉडल के वजन और बेची गई गाड़ियों की संख्या से की जाती है.
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब बड़े-बड़े महानगर, जैसे दिल्ली-एनसीआर, मुंबई के साथ साथ राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई शहर खतरनाक पॉल्यूशन लेवल और हाई लेवल पार्टिकुलेट मैटर की समस्या से जूझ रहे हैं. और AQI के आंकड़े रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुके हैं. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद भी बढ़ते पॉल्यूशन लेवल को गंभीरता से लिया है, साथ ही स्टेट और सेंट्रल गवर्मेंट से नियम तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करते हुए, इसे कम करने के लिए तुरंत जरुरी उपाय करने को कहा है.
ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022, जिसे दिसंबर 2022 में संसद द्वारा अनुमोदित किया गया था, के मुताबिक तय मानक से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन वाली किसी भी कंपनी को भारी वित्तीय जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है.
जबकि FY2022-23 के पहले नौ महीनों में हल्के जुर्माने का लेवल (प्रति दिन 10,000 रुपए और अतिरिक्त 10 लाख रुपए ) था, जबकि इस साल जनवरी से लागू हुए नए नियमों के मुताबिक, प्रति यूनिट बेची गई गाड़ी के लिए 25,000 रुपए का भारी जुर्माना तय किया गया है. अगर किसी कंपनी द्वारा बेचे गए वाहन का CO2 उत्सर्जन तय लेवल 0-4.7 ग्राम/किमी से ज्यादा है. जबकि 4.7 ग्राम से ज्यादा होने पर, प्रति यूनिट वाहन पर 50,000 रुपए का और भी सख्त जुर्माना है. बीईई के निष्कर्षों के आधार पर, किआ को प्रति ग्राम/किमी के हिसाब से अधिकतम 373 करोड़ रुपए का जुर्माना देना होगा, क्योंकि जनवरी-मार्च 2023 के टाइम पीरियड में कंपनी के बेड़े का कार्बन उत्सर्जन इसकी तय CAFE सीमा 4.4 यूनिट से ज्यादा है. किआ के बाद हुंडई का स्थान है, जिस पर 370 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जा रहा है, क्योंकि इसका ग्राम/किमी कार्बन उत्सर्जन तय नॉर्म्स से 7.7 यूनिट ज्यादा है.
जानकारी के मुताबिक, महिंद्रा एंड महिंद्रा पर भी जुर्माने का खतरा है. हालांकि, कंपनी ने सरकार को संकेत दिया है, कि उसके बेड़े का उत्सर्जन जनवरी-मार्च 2023 के समय में तय सीमा के भीतर है, जब से सख्त जुर्माना मानदंड लागू हुए थे.
बीईई द्वारा की गई शुरुआती गणना के मुताबिक, होंडा कार्स को 103 करोड़ रुपए का जुर्माना देना होगा. क्योंकि इसका ग्राम/किमी कार्बन उत्सर्जन तय नॉर्म्स से 17 यूनिट ज्यादा है. रेनॉ के लिए यह जुर्माना 75 करोड़ रुपए (CO2 उत्सर्जन 15 यूनिट से ज्यादा ), निसान पर 41 करोड़ रुपए (15 यूनिट ज्यादा), स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन पर 59 करोड़ रुपए (1.1 यूनिट ज्यादा) और फोर्स मोटर्स पर 0.7 करोड़ रुपए (46 यूनिट्स ज्यादा) होगा.
वहीं कुछ ऐसी कंपनियां भी हैं, जो तय नॉर्म्स के भीतर थीं, जिन्होंने CO2 उत्सर्जन के मामले में कहीं बेहतर स्कोर किया. इस लिस्ट में दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनी मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, एमजी मोटर, टोयोटा किर्लोस्कर, मर्सिडीज-बेंज, जगुआर लैंड रोवर, वोल्वो ऑटो और एफसीए इंडिया ऑटोमोटिव शामिल हैं. इनमें से कई कंपनियों द्वारा बेचीं गयीं गाड़ियों की संख्या में सीएनजी और हाइब्रिड गाड़ियों के साथ साथ इलेक्ट्रिक का भी अच्छा मिश्रण देखने मिला है, जिसके चलते वे अपने अनिवार्य CO2 उत्सर्जन लेवल से नीचे आने में कामयाब रहे हैं.