नई दिल्ली: इस समय नई कार से ज्यादा सेकंडहैंड कार का बाजार गर्म है. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस कोरोना काल में लोग नई कार से ज्यादा पुरानी कार खरीदना पसंद कर रहे है, क्योंकि आधे से भी कम दाम में एक अच्छी पुरानी कार मिल जाती है. लेकिन कई कुछ लापरवाही या कम जानकारी के चलते लोग पुरानी कार खरीदते समय धोखा खा जाते हैं जिसकी वजह से सस्ती कार महंगी पड़ जाती है. इसलिए यहां हम आपको कुछ जरूरी टिप्स बता रहे है जो आपके लिए फायदेमंद साबित होंगे.
1. सर्विस हिस्ट्री की जानकारी
जो भी सेकंड हैंड कार अपने पसंद की है, उसकी फाइनल डील करने से पहले कार की सर्विस हिस्ट्री देखें, इससे आपको इस बात का पता चल जायेगा कि कार की सर्विस कब और कितनी बार हुई है. सर्विस हिस्ट्री से यह भी पता चल जाएगा कि इंजन ऑयल सही समय पर बदलवाया है या नहीं.
2. RC को ठीक से क्रॉस चेक करें
सेकंड हैंड कार खरीदते समय RC भी ठीक से चेक करें, RC में लिखी तारीख बोनट के नीचे गाड़ी की मैन्युफैक्चर तारीख से मिलती है या नहीं यह भी चेक कर लें.
3. इंश्योरेंस की जांच करें
सेकंड हैंड कार खरीदते समय उसका इंश्योरेंस देख लें कि जो कार आपको बेची जा रही है, उसका इंश्योरेंस कराया गया है या नहीं. इंश्योरेंस के पेपर्स आपके नाम से ट्रांसफर हो जाए, यह भी सुनिश्चित करा लें. ध्यान रहे कि कार बेचने की तारीख तक उस कार का रोड टैक्स चुका दिया गया है या नहीं.
4. जानकार मैकेनिक से कार चेक करवा लें
जब भी कोई सेकंड हैंड कार फाइनल करने जाएं तो एक बार किसी जानकार मैकेनिक को भी जरूर साथ लेकर जाएं, क्योंकि मैकेनिक कार को देखकर और उसे स्टार्ट करके आपको बता देगा कि यह खरीदने लायक है या नहीं.
5. टेस्ट ड्राइव सबसे जरूरी
जिस कार को आप खरीदने जा रहे हैं उसकी ठीक से टेस्ट ड्राइव की करके देखें, बिना ड्राइव किये सौदा फाइनल न करें. कार चलाकर उसका पिकअप, गियर शिफ्टिंग, एक्सिलेरेटर का पता लगाया जा सकता है कि इनमें कोई खराबी तो नहीं है.
6. NOC लेना न भूलें
कार को खरीदते वक्त कार मालिक से उसकी एनओसी जरूर ले लें ,साथ ही ध्यान रखे कि कार पर कोई लोन तो नहीं चल रहा है,अगर कार को लोन लेकर कार खरीदी गई है तो आपको उस व्यक्ति से ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' लेना जरूरी है. यह सर्टिफिकेट इस बात का प्रमाण होगा कि उसने लोन की सारी रकम चुका दी है.
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