Bharat NCAP vs Global NCAP: भारत एनसीएपी और ग्लोबल एनसीएपी में क्या है फर्क, यहां समझिए विस्तार से
ग्लोबल एनसीएपी के विपरीत, भारत एनसीएपी वयस्कों और बच्चों के लिए क्रैश टेस्ट परिणामों को, एक साथ मिलाकर वाहनों को रेटिंग प्रदान करेगा.
Bharat NCAP Launched: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आधिकारिक तौर पर भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम यानि भारत एनसीएपी को लॉन्च कर दिया है, ये नियम 1 अक्टूबर से प्रभावी होगा. भारत एनसीएपी का लक्ष्य भारतीय ऑटो निर्माताओं को अपने वाहनों को ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड 197 के अनुसार टेस्टिंग के लिए सक्षम बनाना है. गडकरी ने कहा कि इसके अलावा, इससे यात्रियों की सुरक्षा में सुधार के साथ-साथ भारतीय ऑटोमोबाइल की निर्यात-योग्यता में भी बढ़ोत्तरी होगी. हालांकि भारत एनसीएपी, ग्लोबल एनसीएपी के समान है, जिसे मौजूदा भारतीय ड्राइविंग स्थितियों और नियमों को ध्यान में रख कर बनाया गया है. जानकारी के मुताबिक कार कंपनियां 30 से अधिक कार मॉडल्स को टेस्टिंग के लिए पहले ही पेश कर चुकी हैं.
क्या है ग्लोबल एनसीएपी?
एक निजी कंपनी से संचालित और दुनिया भर में विभिन्न चैरिटी और कार कंपनियों से वित्त पोषित, ग्लोबल एनसीएपी टेस्टिंग, 2013 लैटिन एनसीएपी प्रोटोकॉल पर आधारित है. ये केवल लिमिटेड सेगमेंट की टेस्टिंग्स को कवर करती है और वाहनों को एडल्ट सेफ्टी और चाइल्ड सेफ्टी के लिए टेस्टिंग के बाद स्टार रेटिंग प्रदान करती है.
ग्लोबल एनसीएपी परीक्षण के मानक
इस टेस्टिंग में फ्रंटल ऑफसेट शामिल होता है जहां वाहनों को 64 मील प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ाया जाता है. इसमें 50 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दो कारों के बीच टक्कर के इंपैक्ट का पता लगाने के लिए वाहन और रेसिस्टर को 40 प्रतिशत ओवरलैप पर रखा जाता है. ग्लोबल एनसीएपी रेटिंग प्राप्त करने के लिए यह टेस्ट अनिवार्य है.
भारत एनसीएपी और ग्लोबल एनसीएपी के बीच अंतर?
सुरक्षा रेटिंग कैटेगरी
ग्लोबल एनसीएपी में, एक वाहन को 5-स्टार सुरक्षा रेटिंग प्राप्त करने के लिए कम से कम 34 अंक प्राप्त करना जरूरी है, जिसमें फ्रंट क्रैश टेस्ट के लिए 16 अंक, साइड इफेक्ट के लिए 16 और सीटबेल्ट रिमाइंडर के लिए 2 अंक शामिल हैं.
जबकि भारत एनसीएपी में, 5-स्टार रेटिंग प्राप्त करने के लिए, एक वाहन को एडल्ट सेफ्टी में कम से कम 27 अंक और बच्चों की सुरक्षा में 41 अंक पाना आवश्यक है.
क्रैश टेस्टिंग के प्रकार
क्रैश टेस्टिंग के मामले में भारत एनसीएपी प्रोटोकॉल ग्लोबल एनसीएपी मानदंडों के अनुरूप है. जिसमें ऑफसेट डिफॉर्मेबल बैरियर फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट, साइड इम्पैक्ट टेस्ट और पोल साइड इम्पैक्ट टेस्ट सहित तीन टेस्ट्स से वाहनों की दुर्घटनाग्रस्तता का निर्धारण किया जाता है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, इसके अलावा, भारत एनसीएपी में छह एयरबैग, इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिल्ट, प्रत्येक यात्री वाहन के लिए तीन-पॉइंट सीटबेल्ट, बेहतर इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम अधित को मजबूत के लिए शामिल किया गया है.
टॉप स्पीड
तीसरा मापदंड है टॉप स्पीड. भारत एनसीएपी के लिए, फ्रंटल क्रैश टेस्ट 64 किमी/घंटा की गति से किया जाएगा, साइड और पोल-साइड इम्पैक्ट टेस्ट क्रमशः 50 किमी/घंटा और 29 किमी/घंटा पर किए जाएंगे, जो कि ग्लोबल एनसीएपी के बहुत समान है.
कई सेगमेंट की कारों होगी टेस्टिंग
भारत एनसीएपी मानदंड सीएनजी और ईवी के प्रदर्शन के आधार पर परीक्षण और रेटिंग के लिए भी लागू होंगे.
इंटीग्रेटेड रेटिंग
ग्लोबल एनसीएपी के विपरीत, भारत एनसीएपी वयस्कों और बच्चों के लिए क्रैश टेस्ट परिणामों को, एक साथ मिलाकर वाहनों को रेटिंग प्रदान करेगा.