PUC Certificate: सड़क पर वाहन चलाते समय यातायात के नियमों के अनुसार चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन कॉपी, इंश्योरेंस कॉपी जैसे जरूरी डॉक्यूमेंट होना अनिवार्य है. साथ ही एक अन्य कागजात भी बेहद जरूरी है और वो है पॉल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिकेट यानि PUC. इस पर लोग ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं और जिनके पास यह होता भी है वह उसे जरूरी न समझ कर रिन्यू नहीं करवाते. लेकिन आपको यह जानकारी होने चाहिए कि यही आपके पास यह डॉक्यूमेंट अपडेटेड स्थिति में नहीं है तो आपको भारी जुर्माने के साथ ही सजा भी भुगतनी पड़ सकती है.  


इतना लगेगा जुर्माना


मोटर व्हीकल एक्ट, 1993 के सेक्शन 190 (2) के अंतर्गत यही आप बिना PUC सर्टिफिकेट अथवा एक्सपायर्ड PUC सर्टिफिकेट के साथ वाहन चलाते हुए पकड़े जाते हैं तो ये आपके  लिए भारी मुसीबत बन सकता है. इसके लिए आपको 10 हजार रूपये का चालान या 6 माह की जेल अथवा दोनों ही सजा भुगतनी पड़ सकती है. इसके साथ ही नियम के अनुसार आपको ड्राइविंग लाइसेंस रखने के लिए तीन महीने तक अयोग्य भी करार दिया जा सकता है. 


क्यों है इसकी आवश्यकता


मोटर व्हीकल एक्ट, 1989 के नियम के  अनुसार, बीएस-I/बीएस-II/बीएस-III/बीएस-IV मानकों के अनुसार उत्सर्जन करने वाले वाहनों के साथ ही सीएनजी/एलपीजी से चलने वाले हर प्रकार के वाहन पर चलने वाले सभी वाहनों के पास PUC सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है. ये सर्टिफिकेट वाहन के रजिस्ट्रेशन से एक साल के बाद बनवाना होता है. इसकी वैधता हर तीन महीने में समाप्त हो जाती है. 


ऐसे बनता है PUC सर्टिफिकेट


PUC सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आपको प्रदूषण जांच केंद्र से संपर्क कर सकते हैं. ये केंद्र हर राज्य में पेट्रोल पंपों पर मौजूद होते हैं. पॉल्यूशन चेक सेंटर पर एक कंप्यूटराइज्ड मशीन से जुड़े गैस ऐनालाइजर की मदद से आपकी गाड़ी से निकलने वाले प्रदूषण की जांच की जाती है. इसके बाद यदि आपकी गाड़ी से मानक के अनुरूप धुंआ निकलता हुआ पाया  जाता है तो आपके वाहन के नंबर प्लेट की फोटो लेकर आपको आपके गाड़ी का PUC सर्टिफिकेट बना कर दे दिया जाता है.


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