Real Life Challenges After Buying Electric Scooter: पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतों ने लोगों को इलेक्ट्रिक स्कूटर्स की ओर बढ़ने के लिए मजबूर कर दिया है. हालांकि, यह मजबूरी इस लिहाज से अच्छी है कि इलेक्ट्रिक स्कूटर्स के इस्तेमाल से वायु प्रदूषण बहुत कम होता है जबकि पेट्रोल से चलने वाले स्कूटर वायु प्रदूषण ज्यादा करते हैं. इसके अलावा इलेक्ट्रिक स्कूटर्स ध्वनि प्रदूषण भी नहीं करते जबकि पेट्रोल वाले स्कूटर ध्वनि प्रदूषण करते हैं. 


इतना ही नहीं पेट्रोल स्कूटर्स को इस्तेमाल करने की कॉस्ट ज्यादा होती है जबकि इलेक्ट्रिक स्कूटर्स को इस्तेमाल करना बहुत कम खर्चे में संभव हो जाता है. यह सब इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदने के फायदे हैं लेकिन मौजूदा वक्त में इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदने के कुछ नुकसान भी हैं. हालांकि, इन्हें नुकसान कहने से ज्यादा बेहतर होगा कि चैलेंजेज कहा जाए. ऐसे में हम आपको इस रिपोर्ट में ऐसे ही दो चैलेंज के बारे में बताने वाले हैं, जो आपको इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदने के बाद फेस करने पड़ सकते हैं.


ड्राइविंग रेंज को लेकर एंजायटी
जब आप इलेक्ट्रिक स्कूटर लेकर सड़क पर निकलते हैं तो आपके मन में उसकी ड्राइविंग रेंज को लेकर लगातार एक ख्याल बना रहता है कि कहीं यह रास्ते में ही डिस्चार्ज न हो जाए क्योंकि, अगर ऐसा होता है तो बहुत हद तक उम्मीद है कि आपको आसपास में सार्वजनिक ईवी चार्जिंग प्वाइंट ना मिले और ऐसा होने पर आपको अपने स्कूटर को या तो टो कराना पड़ेगा या फिर खुद खींचकर घर लाना पड़ेगा. क्योंकि, मौजूदा समय में भारत का सार्वजनिक ईवी चार्जिंग इंफास्ट्रक्चर बहुत अच्छा नहीं है.


सर्विस ऑप्शंस की कमी 
फिलहाल, जब आप इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदेंगे तो आपके पास उसकी सर्विस कराने के लिए सिर्फ कंपनी के आधिकारिक सर्विस सेंटर का ही विकल्प होगा. क्योंकि, भारतीय बाजार के लिए ईवी अभी नई टेक्नोलॉजी है और आधिकारिक सर्विस सेंटर से अलग इसकी सर्विस करने के लिए आपको अभी बहुत ज्यादा मैकेनिक नहीं मिलेंगे.



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