Supreme Court Decision on BM: देश की सर्वोच्च अदालत ने लग्जरी कार निर्माता कंपनी बीएमडब्ल्यू इंडिया को ये निर्देश जारी किया है कि कंपनी को अपने एक ग्राहक को 50 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर देने होंगे. बीएमडब्ल्यू को ये 50 लाख रुपये साल 2009 में अपने एक कस्टमर को खराब कार बेचने के लिए देने पड़ रहे हैं.
BMW को भरने होंगे 50 लाख रुपये
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वोच्च न्यायालय की बेंज, जिसमें चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूण, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ये फैसला 10 जुलाई को सुनाया है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि इस मुद्दे की परिस्थिति और तथ्यों को देखते हुए अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि कार निर्माता कंपनी बीएमडब्ल्यू इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को पूरे 50 लाख रुपये मुआवजे के रूप में देने होंगे और कंपनी को ये रकम याचिकाकर्ता को 10 अगस्त, 2024 से पहले ही देनी होगी.
क्या है पूरा मामला?
साल 2009 में याचिकाकर्ता ने बीएमडब्ल्यू की एक कार खरीदी थी, जिसमें उस व्यक्ति ने कुछ खराबी पाई. वहीं इस मामले में सुनवाई के दौरान जून-जुलाई 2012 में उच्च न्यायालय की तरफ से फैसला सुनाया गया था. इस फैसले में कहा गया था कि कार निर्माता कंपनी को याचिकाकर्ता को पुराने खराब वाहन की जगह एक ब्रांड न्यू व्हीकल को देना होगा. लेकिन याचिकाकर्ता को ये फैसला उचित नहीं लगा. बेंच ने ये भी देखा कि उस समय तक बीएमडब्ल्यू के उस मॉडल का इस्तेमाल किया जा चुका था.
सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला
हाई कोर्ट के फैसले के बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के 22 मार्च 2012 के फैसले को बदलकर ये निर्णय सुनाया कि FIR की बुनियाद पर धोखाधड़ी के आरोप पर पर्दा नहीं डाला जा सकता. इस फैसले के चलते अब बीएमडब्ल्यू को 50 लाख रुपये याचिकाकर्ता को देने होंगे.
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