Traffic Challan: इस शहर की सड़कों पर लगने जा रहे हैं AI से लैस कैमरे, ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों की अब खैर नहीं!
कैमरों को पैदल यात्री पुलों, ट्रैफिक जंक्शन और दिल्ली में एंट्री करने वाली जगहों पर, कम से कम 100 कैमरे लगाने के लिए 6 महीने का समय दिया जाएगा. इनकी निगरानी अलग अलग एजेंसियों द्वारा की जाएगी.

Traffic Challan by AI Cameras: सड़क पर चलते समय कानून तोड़ने से बचना, अब पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल हो सकता है. अब बिना हेलमेट सवारी, टू व्हीलर पर तीन सवारी बिठाकर फर्राटे भरना और सीट बेल्ट यूज न करना, जैसे 19 ट्रैफिक कानूनों के उल्लंघन को पकड़ने में सक्षम आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस यानि AI से लैस कैमरे, जल्द ही दिल्ली की सडकों पर देखने को मिल सकते हैं.
इकनोमिक टाइम्स के मुताबिक, दिल्ली ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (DTIDC) ने ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) डिटेक्शन सिस्टम की सप्लाई, इन्टॉलेशन, कमीशनिंग और ऑपरेशन के लिए एक टेंडर जारी किया है.
मौजूदा समय में, ट्रैफिक पुलिस द्वारा ज्यादातर मोटर चालकों पर फास्ट राइडिंग/ड्राइविंग, ज़ेबरा क्रॉसिंग उल्लंघन और बिना हेलमेट पहने सवारी करने का मामला दर्ज करती हैं. लेकिन, इस प्रोजेक्ट के चलते उल्लंघनों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. जिन्हें हाई-टेक कैमरों द्वारा पकड़ा जायेगा. इसके अलावा ये गलत लेन में गाड़ी चलाने वालों के साथ साथ, फुटपाथ पर चलने वाले टू व्हीलर को पकड़ने में भी सक्षम हैं. यहां तक कि डुप्लिकेट लाइसेंस प्लेटों का पता भी आसानी से लगा सकता है.
वहीं इकनोमिक टाइम्स के में छपी खबर के अनुसार, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के एक सीनियर अधिकारी के दावे के मुताबिक, ANPR कैमरे नंबर प्लेटों के साथ अलावा गाड़ी या अन्य सरकारी विभागों के डेटा का मिलान करके समाप्त होने जा रहे, गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन, PUC सर्टिफिकेट, ख़त्म हो चुके इंश्योरेंस और चोरी हुए व्हीकल्स का भी पता लगाने में सक्षम होंगे. साथ ही यह सिस्टम ऑड-ईवन स्कीम या GRAP प्रतिबंधों के लागू किये जाने के समय, दिल्ली में एंट्री करने की कोशिश करने वाले प्रतिबंधित गाड़ियों का पता लगाने को संभव बनाकर संसाधनों को बचाने में भी मदद कर सकती.
इसके अलावा, ये सिस्टम लाइसेंस प्लेटों को भी कैप्चर कर जानकारी को सिस्टम डेटाबेस में इकठ्ठा करेगा. वहीं ANPR कैमरे ट्रांसपोर्ट डेटाबेस से ज्यादा पुरानी गाड़ियों और उनका PUC है या नहीं इसकी जांच भी हो सके. कैमरे एल्गोरिदम बेस्ड होने की वजह यह भी बताने में सक्षम होंगे, कि कोई वाहन कब ओवरलोडेड है.
इन जगहों पर लगेंगे कैमरे
कैमरों को पैदल यात्री पुलों, ट्रैफिक जंक्शन और दिल्ली में एंट्री करने वाली जगहों पर, कम से कम 100 कैमरे लगाने के लिए 6 महीने का समय दिया जाएगा. इनकी निगरानी अलग अलग एजेंसियों द्वारा की जाएगी, लेकिन चालान सरकारी पोर्टल के जरिये ही जारी होंगे.
चालान इंटेलिजेंट ई-चालान सिस्टम के जरिये जारी किया जाएगा. जोकि कई डेटाबेस के एकीकरण के माध्यम से मिले नियमों का उल्लंघन करने वाले सभी वाहनों के खिलाफ ई-नोटिस उत्पन्न करने की क्षमता है. इसी तरह एएनपीआर कैमरे भी चौराहों पर रेड लाइट या स्टॉप लाइन का उल्लंघन करने वाली गाड़ियों की लाइसेंस प्लेट पकड़ सकते हैं.
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