देश में बहुत से लोगों कार खरीदने की इच्छा रखते हैं लेकिन आर्थिक कारणों के चलते हुए खरीद नहीं पाते हैं. वहीं, कुछ लोग रख-रखाव जैसे कारणों के चलते इससे पीछे हट जाते हैं. इसे देखते हुए कुछ कार कंपनियां लीज पर कार दे रही हैं. भारत में यह ट्रेंड लोगों को पसंद आ रहा है.


कार कंपनियां इसे सीमित समय के लिए लीज पर देती हैं. इसमें कार की मैंटेनेस और सर्विसिंग की सुविधा भी दे रही हैं. कंपनियां कार को लीज पर देने के साथ कुछ शर्ते भी जोड़ रही हैं जिनका कस्टमर को पालन करना होता है.


क्या है कार लीजिंग
कार लीजिंग का मतलब है कि कार आपके पास रहगी और इसके बदले आपको हर महीने एक तय रकम देनी होगी. यह कीमत कार के मॉडल, समयावधि आदि को ध्यान में रखकर तय की जाएगी. इसके लिए डाउन पेमेंट नहीं देना होगा लेकिन सिक्योरिटी राशि देनी होगी. साथ ही इसको चलाने के किलोमीटर भी तय होंगे. तय किमी से ज्यादा कार चलाने पर ज्यादा राशि देनी होगी. कंपनी हर तीन महीने में सर्विस भी करवाकर भी देगी.


लीज पर चलाने और खरीदने में कितना है अंतर
उदाहरण के तौर पर यदि आप हुंडई से उसकी ग्रैंड आई10 को 3 साल के लिए लीज पर लेते हैं तो हर महीने आपको 18 हजार के लगभग राशि देनी पड़ेगी. इसमें मैंटेनेस भी शामिल है. ऐसे में आप लगभग 6.66 लाख रुपए चुकाने पड़ेंगे.


वहीं, आप कार खरीदते हैं और 1 लाख का डाउनपेमेंट और 4.75 लाख लोन कराते हैं तो आपको लगभग हर महीने 15 हजार रुपए चुकाने होंगे. ऐसे में डाउनपेमेंट 5.47 लाख के आसपास खर्च करने होंगें. इसमें कार से जुड़े दूसरे खर्चे शामलि नहीं होगी. इसमें तीन साल के बाद भी कार आपके पास रहेगी.


लीज पर कार लेने का फायदा और नुकसान
देश में हुंडई, महिन्द्रा, होंडा जैसी कंपनियां कार लीज पर दे रही हैं. इसके लिए केवाईसी पूरा करना होता है. लीज पर कार लेने का फायदा यह है कि आपको इसके लिए डाउनमेंट नहीं करना होता है. मैंटेनेस और दूसरे खर्चे भी आपको नहीं करनी पड़ेगी. आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ता. इसका सबसे बड़ा नुकसान है कि हर महीने रकम चुकाने के बाद भी आप कार के मालिक नहीं बन सकते हैं. तय समय बाद कार कंपनी को लौटानी होती है.


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