वाहन खरीदने के साथ ही उसका बीमा करा लेना एक फायदे का सौदा है लेकिन फिर भी लोग वाहन खरीदते वक्त उसका इंश्योरेंस कराने से कतराते हैं. हालांकि मोटर व्हीकल कानून लागू होने के बाद गाड़ी का बीमा कराना अब जरूरी हो गया है. अगर आप बीमा नहीं कराते हैं तो आपको सड़कों पर गाड़ी चलाने के लिए दो हजार रुपये हर्जाना या तीन साल की सजा हो सकती है.
ऑटो एक्सपर्ट भी मानते हैं गाड़ी का बीमा करा लेना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बाद से बीमा कंपनियों को लंबी अवधि के लिए बीमा कवर देना जरूरी हो गया है. गाड़ी का बीमा लेने और बीमा को रिन्यू कराते समय इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
प्रीमियम की तुलना जरूरी
वाहन का बीमा कराना हो तो सबसे ज्यादा जरूरी होता है कम प्रीमियम वाली बीमा कंपनी की तलाश करना. वाहन का बीमा कराने से पहले आप विभिन्न बीमा कंपनियों की तुलना जरूर करें. अब ऑनलाइन बाजार की वजह से यह करना बहुत आसान हो गया है. आप किसी भी वेबसाइट पर जाकर बीमा कंपनियों के प्रीमियम की तुलना कर सकते है. डीलर की ओर से दिए जा रहे बीमा को जरूर क्रॉस चेक करना चाहिए. डीलर कभी भी आपके हित के मुताबिक नहीं बल्कि अपने कमीशन के आधार पर आपको बीमा पॉलिसी देता है.
मोटर बीमा पॉलिसी लेने के दो आधार हैं
पहला- थर्ड-पार्टी लायबिलिटी: इसमें दूसरे की गाड़ी को हुए नुकसान की भरपाई करनी होती है. यह लेना जरूरी होता है.
दूसरा- ओन-डैमेज: इसमें अपनी गाड़ी को हुए नुकसान के लिए कवर मिलता है. यह लेना वैकल्पिक है.
एड-ऑन सुविधा
मोटर बीमा पॉलिसी के तहत आप अपने अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान कर एड-ऑन की सुविधा ले सकते हैं. नए वाहनों के लिए जीरो डेप्रिसिएशन एड-ऑन जैसा कवर ले सकते हैं. ये कवर नए वाहनों पर देय दावे और क्लेम पेयबल को बढ़ाता है. हालांकि आपके पास अगर पुराना वाहन है तो इस कवर का कोई फायदा नहीं है. मान लीजिए कि आप बाढ़ प्रभावित इलाके में रहते हैं तो आप इंजन प्रोटेक्ट जैसे एड-ऑन कवर ले सकते हैं. हालांकि यह ध्यान रखने वाली बात है कि अगर आपको जरूरत है तो ही एड-ऑन कवर लें नहीं तो ये आपके प्रीमियम पर अतिरिक्त भार बन सकता है.
नो क्लेम बोनस
मोटर बीमा एक साल तक प्रभावी रहता है. इसके बाद इसे रिन्यू किया जाता है. आपको प्रीमियम लंबी अवधि के लिए देना होता है लेकिन हर साल के आधार पर कवरेज लिया जाता है. अगर आपने किसी एक साल कोई क्लेम नहीं किया है तो उस साल आप नो क्लेम बोनस ले सकते हैं. नो क्लेम बोनस प्रीमियम का 20-50% तक हो सकता है.
आप जब बीमा रिन्यू कराएंगे तो आपको क्लेम बोनस की जगह प्रीमियम में छूट मिल जाएगी. लेकिन अगर आप कोई दावा करते हैं तो क्लेम पर मिलने वाला डिस्काउंट या बोनस खत्म हो जाता है. अगर आप नो क्लेम बोनस का फायदा उठाना चाहते हैं तो पॉलिसी खत्म होने से पहले उसे रिन्यू करा लें. अगर आप पॉलिसी खत्म होने के 90 दिनों के बाद पॉलिसी को रिन्यू कराते हैं तो आप नो क्लेम बोनस का फायदा नहीं उठा पाएंगे.
एक्सक्लूजन प्रोसेस की जानकारी रखें
अपने वाहन बीमा को रिन्यू या नवीनीकरण कराते वक्त ध्यान रखें कि किन चीजों को शामिल करना है और किन चीजों को बाहर रखना है. बीमा कंपनी से आप इस बारे में जानकारी ले सकते हैं. पॉलिसी को रिन्यू कराते समय एक्सक्लूजन प्रोसेस को समझना जरूरी है क्योंकि गलती से आपके क्लेम के समय दिक्कत आ सकती है.
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