New Number Plate Series: क्या है "BH" सीरीज की नंबर प्लेट का मतलब, कौन ले सकता है ये नंबर, क्या हैं इसके फायदे, देखें डिटेल्स
'BH" Series For Vehicle: अगर आपको लंबे समय के लिए किसी दूसरे राज्य में रहना हो तो रजिस्ट्रशन नंबर बदलाना होता है. BH नंबर प्लेट इससे निजात दिलाती है.
BH-Series: अभी दो पहिया और चार पहिया वाहनों पर जिस नंबर प्लेट का इस्तेमाल हो रहा है, उसे राज्यों के आधार पर रजिस्ट्रशन करके नंबर अलॉट किया जाता है, लेकिन अब आप चाहें तो BH-Series की नंबर प्लेट लेकर इस झंझट से बच सकते हैं. खासकर तब जब आपको अलग-अलग राज्यों में रहना या आना-जाना पड़ता हो. आगे हम आपको BH नंबर प्लेट जुड़ी जानकारियां देने जा रहे हैं.
BH सीरीज की शुरुआत देश के रक्षा कर्मी, केंद्र और राज्य सरकारों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs) के कर्मचारियों के लिए की गयी थी. अब सरकार के नोटिफिकेशन जारी करने के बाद कोई भी इस नंबर प्लेट के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकता है. इस नंबर वाली कारों को किसी भी राज्य में बिना रोक-टोक कितने भी समय के लिए लेकर जाया जा सकता है. अभी कार लेने पर रजिस्ट्रेशन राज्य के परिवहन विभाग के अंतर्गत होता है और अगर आपको लंबे समय के लिए किसी दूसरे राज्य में रहना हो तो रजिस्ट्रशन नंबर बदलाना होता है. BH नंबर प्लेट इससे निजात दिलाती है.
कैसे मिलेगा BH-Series रजिस्ट्रशन नंबर
इस रजिस्ट्रेशन नंबर को लेने के लिए आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से आवेदन कर सकते हैं.
ऑनलाइन आवेदन
- सबसे पहले आप इस सीरीज के लिए बनाये गए नियम चेक करें कि आपका वाहन अप्लाई करने कि लिए इलिजिबल है या नहीं.
- अगर इलिजिबल है तो अपलोड किये जाने वाले डॉक्यूमेंट्स की सॉफ्टकॉपी तैयार कर फॉर्म फिल कर दें.
- फॉर्म फिल होने के बाद निर्धारित फीस सबमिट करें और RTO अप्रूवल लें. इस तरह आपका आवेदन हो जाता है.
ऑफलाइन आवेदन
- इसके लिए आपको परिवहन विभाग के ऑफिस जाकर पहले से मिले हुए रजिस्ट्रेशन नंबर के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लें. इसके बाद ही आप BH सीरीज के लिए अप्लाई कर सकते हैं.
- इसके बाद जरूरी दस्तावेज के साथ भारत मार्क सीरीज के लिए आवेदन करें.
- आप पहले वाले रजिस्ट्रेशन नंबर लेते वक्त दिए गए रोड टैक्स को वापस लेने के लिए भी आवेदन दे सकते हैं.
BH-Series पर लगने वाला टैक्स
सरकारी नियमों के तहत 10 लाख से कम दाम वाले गैर-परिवहन गाड़ियों पर 8%, 10 से 20 की कीमत वाली गाड़ियों पर उनकी कीमत का 10% और इससे ज्यादा कीमत होने पर 12% का टैक्स देना होगा. वहीं डीजल गाड़ियों पर 2% ज्यादा और इलेक्ट्रिक व्हीकल पर 2% कम टैक्स लिया जायेगा.
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