Loan Hypothecation: कोरोना के बाद भारतीय कार बाजार एक बार फिर पहले की तरह चल पड़ा है. ग्राहक अलग-अलग कंपनियों की कारों की हैवी डिमांड के चलते, कंपनियों को काफी लम्बे वक्त की वेटिंग भी देनी पड़ रही है. हालांकि भारत में 90 प्रतिशत के आस-पास खरीदी जाने वाली कारें लोन पर खरीदी जाती हैं. जिसे ग्राहक EMI के तौर पर चुकाते रहते हैं. लेकिन जब लोन पूरा हो जाता है, उसके बाद भी आपको कुछ जरूरी काम करने होते हैं. नहीं तो बाद में आपको इससे कुछ परेशानियां हो सकती हैं. जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं.  


कार हायपोथिकेशन


जब आप कार खरीदते हैं और उस पर लोन ले लेते हैं, तो लोन देने वाली बैंक के पास आपकी कार हायपोथिकेटेड हो जाती है. यानि के जब तक आप लोन भर रहे हैं तब तक आपकी कार लोन देने वाली कंपनी के पास एक तरह से गिरवी रखी होती है. इसीलिए जब आप अपनी कार का लोन पूरा चुका दें, तो उस बैंक से NOC सर्टिफिकेट जरूर लें. इसकी वेलिडिटी तीन से छह महीने तक की दी जाती है. इस एनओसी से आप कार की आरसी पर लिखा बैंक का नाम और लोन की डिटेल को हटवाना जरूरी होता है. इसके लिए आपको parivahan.gov.in की वेबसाइट पर जाकर, अपना अकाउंट बनाकर Vehicle Related Services में पूरी डिटेल्स देनी होती है.


मिलती है नई RC


हाइपोथिकेशन के इस प्रोसेस को पूरा करने के बाद ऑनलाइन फीस भी जमा करनी होती है. फिर इसकी रसीद की फोटोकॉपी, ऑरिजनल RC, NOC की कॉपी, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट (PUC) और इंश्योरेंस की कॉपी को आपके संबंधित आरटीओ में स्पीड पोस्ट से भेजनी होती है. इसके बाद RTO नई आरसी इश्यू कर, रजिस्टर्ड पते पर स्पीड पोस्ट के जरिये भेज देता है.


लेकिन अगर आप इसे नहीं करवाते, तो आपको सबसे पहली परेशानी कार को बेचते समय आएगी. बिना हाइपोथिकेशन हटवाए आप अपनी कार नहीं बेच पाएंगे. दूसरा अगर आपको भविष्य में कभी फिर से फाइनेंस की जरूरत पड़ती है, तो इसकी वजह से बैंक फिर से आपको लोन नहीं देगा. साथ ही अगर अपने NOC वैलिडिटी के रहते इस प्रोसेस को पूरा नहीं किया, तो आपको जरूरत पड़ने पर फिर से एनओसी निकलवाना पड़ेगा.


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