Car Engine Problem: दिल्ली जैसे राज्य में एक पेट्रोल कार को अधिकतम 15 साल और एक डीजल कार को अधिकतम 10 साल तक ही सड़कों पर चलाया जा सकता है. इस अवधि में लोग जल्द ही अपनी गाड़ियां बदल देते हैं जबकि बहुत से लोग रजिस्ट्रेशन की वैलिडिटी तक वाहनों चलाते रहते हैं. आमतौर पर नई कार पहले कुछ सालों तक बहुत बढ़िया परफॉर्मेंस देती है और उसका मेंटेनेंस का खर्च भी कम लगता है, लेकिन समय के साथ साथ किसी भी गाड़ी का प्रदर्शन गिरने लगता है और उस पर खर्च भी अधिक होने लगता है. यह खर्च नई गाड़ी पर मिलने वाली वॉरंटी के खत्म होने के बाद और अधिक बढ़ जाता है.
यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि गाड़ी में किसी भी खराबी का खर्च इंश्योरेंस कंपनी नहीं उठाती है. ऐसे में सारा खर्च वाहन के मालिक को करना पड़ता है. इन खर्चों से बचने के लिए बहुत सारे लोग कुछ सालों में ही अपनी गाड़ी बदलते रहते हैं. लेकिन एक सवाल सबके मन में रहता है क्या हर किसी को ऐसा करना चाहिए या फिर गाड़ी को इस्तेमाल करते रहना चाहिए? तो चलिए जानते हैं गाड़ी में क्या दिक्कतें होने पर उसे बेच देना चाहिए.
क्या परेशानी होने पर गाड़ी बेच देनी चाहिए
किसी भी गाड़ी में समय के साथ छोटी-मोटी दिक्कतें आने ही लगती हैं और ये बहुत सामान्य सी बात है. लेकिन यदि गाड़ी के इंजन में कोई परेशानी आने लगे तो उसे बेचने पर विचार करना सही है, क्योंकि किसी भी गाड़ी में उसका इंजन सबसे महत्वपूर्ण और महंगा पार्ट होता है. इसमें किसी छोटी सी दिक्कत को भी ठीक कराने में मोटा खर्चा हो जाता है. इसलिए कभी भी गाड़ी के इंजन में कोई दिक्कत आने पर उसे समय रहते बेच देना ही सबसे बढ़िया विकल्प होता है.
इस स्थिति में तुरंत बेच दें गाड़ी
यदि आप अपनी गाड़ी को ठीक कराने जाते हैं और आपका मैकेनिक आपसे कहे कि आपकी गाड़ी का इंजन खराब होने वाला है या कभी भी पूरी तरह से सीज हो सकता है तो ऐसी स्थिति में आपको बिना देर किए तुरंत अपनी गाड़ी बेच देनी चाहिए जिससे आपको अपनी गाड़ी की अच्छी कीमत मिल सके.
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