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Flex Fuel क्या है? आसान भाषा में समझिए, जानें इसके फायदे और नुकसान

दिग्गज कार निर्माता कंपनी टोयोटा खास तकनीक से चलने वाली देश में पहली कार को 28 सितंबर को अनवील होगी. यह कार टोयोटा कोरोला हाइब्रिड (Toyota Corolla Hybrid) हो सकती है.

Flex Fuel: पिछले कुछ सालों में आपने फ्लेक्स फ्यूल वाहनों के बारे में काफी सुना होगा. भले ही आप पूरी तरह से समझ नहीं पाए कि आखिर फ्लेक्स-फ्यूल वाहन क्या है. तो हम आपको आसान भाषा में बताएंगे कि आखिर फ्लेक्स-फ्यूल क्या होता है? साथ ही इसके फायदे और नुकसान के बारे में भी जानेंगे. ताकि इन वाहनों पर निवेश करने से पहले आपको पता होना चाहिए कि आप क्या खरीद रहे हैं.

फ्लेक्स फ्यूल क्या है?

फ्लेक्स ईंधन, गैसोलीन (Gasoline) और मेथनॉल (Methanol) या इथेनॉल (Ethanol) के मिश्रण से बना एक वैकल्पिक ईंधन है. फ्लेक्स-फ्यूल वाहन वे होते हैं जिनमें एक से अधिक प्रकार के ईंधन पर चलने के लिए तैयार किए गए आंतरिक दहन इंजन होते हैं. यह तकनीक नई नहीं है. फ्लेक्स ईंधन को पहली बार 1990 के दशक की शुरुआत में विकसित किया गया था. कार बाइबिल के मुताबिक 1994 में बड़े पैमाने पर उत्पादित फोर्ड टॉरस में इस्तेमाल किया गया था. वहीं 2017 तक, सड़क पर लगभग 21 मिलियन फ्लेक्स-फ्यूल वाहन थे.

फ्लेक्स फ्यूल के फायदे

आइए कुछ ऐसे कारणों पर गौर करें, जिन पर आप फ्लेक्स फ्यूल पर स्विच करने पर विचार कर सकते हैं.

  • आज ईंधन की खपत बहुत ज्यादा हो रही जिसका सीधे तौर पर असर पर्यावरण पर देखने को मिलता है, जबकि फ्लेक्स फ्यूल वाहन तुलनात्मक रूप से कम जहरीले धुएं को पंप करते हैं, जिससे यह पारंपरिक गैसोलीन की तुलना में पर्यावरण के अधिक अनुकूल विकल्प बन जाते हैं.

  • फ्लेक्स-फ्यूल वाहन इथेनॉल पर चलते हैं, जो गन्ने की चीनी और मक्के जैसी सामग्री से स्थायी रूप से बनता है. इसलिए यह इथेनॉल को विदेशी तेल खरीदने का एक अच्छा विकल्प बनाता है. साथ ही किसानों को उच्च आय प्राप्त करने में मदद मिलेगी.
  • FFVs के माध्यम से प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम किया जा सकता है जिससे वातावरण में हानिकारक उत्सर्जन में कमी होगी.
  • वैकल्पिक ईंधन इथेनॉल 60-62 रुपये प्रति लीटर है जबकि पेट्रोल की कीमत देश के कई हिस्सों में 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक है, इसलिए इथेनॉल के उपयोग से देश के लोगों की 30-35 रुपये प्रति लीटर की बचत होगी.

समग्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए, ऑटोमोबाइल ईंधन के रूप में इथेनॉल के अधिक उपयोग से आयात लागत को बचाने में मदद मिलेगी क्योंकि देश कच्चे तेल की 80 फीसदी से ज्यादा जरूरतों को आयात के माध्यम से पूरा करता है.

फ्लेक्स फ्यूल के नुकसान

Flex Fuel के कुछ नुकसान भी हैं जिनके बारे में आपको वाहन को खरीदने से पहले पता होना चाहिए.

  • इथेनॉल के उपयोग को नुकसान भी माना जा सकता है क्योंकि ईंधन उत्पादन के लिए उपलब्ध कराई गई कोई भी फसल किसी अन्य उपयोग के लिए उपयोग नहीं की जा सकती है. इससे पशु आहार जैसे उत्पादों की कीमतों में इजाफा हो सकता है. मक्का (मकई), विशेष रूप से खेती करने के लिए एक श्रम प्रधान फसल है और सूखे, खराब मौसम के अधीन होती है.
  • इथेनॉल भी गैसोलीन की तरह किफायती नहीं है, जिसमें यह समान स्तर की ईंधन क्षमता प्रदान नहीं करता है. इथेनॉल के आपूर्तिकर्ता उतने नहीं हो सकते जितने पेट्रोल की आपूर्ति करते हैं, इसलिए फ्लेक्स ईंधन स्टेशन कम और बीच में हो सकते हैं जो वर्तमान में गैसोलीन स्टेशनों के मामले में है. वास्तव में वर्तमान में देश भर में कुछ ही स्टेशन हैं जो इथेनॉल की आपूर्ति करते हैं.
  • इथेनॉल गंदगी को आसानी से अवशोषित कर लेता है इससे इंजन को जंग लग सकता है और इंजन खराब भी हो सकता है.

    निष्कर्ष-

    कुल मिलाकर हम निष्कर्ष की बात करें तो फ्लेक्स फ्यूल और फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों के फायदे और नुकसान के बीच बहस लंबी चल सकती है. लेकिन पर्यावरण के अनुकूल और किफायती ईंधन स्रोत के रूप में इथेनॉल का उपयोग करने की दिशा में यह एक बेहतर कदम प्रतीत होता है.

    भारत की पहली फ्लेक्स फ्यूल कार 28 सितंबर को होगी अनवील

    दिग्गज कार निर्माता कंपनी टोयोटा इस तकनीक से चलने वाली देश में पहली कार को 28 सितंबर 2022 को अनवील होगी. यह कार टोयोटा कोरोला हाइब्रिड (Toyota Corolla Hybrid) हो सकती है. जो कि पहले से ब्राजील ही में बिक रही है.

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