NCAP Rating Process: कार खरीदने वाला ग्राहक अब धीरे धीरे गाड़ियों की सेफ्टी को लेकर जाकरूक हो रहा है. इसकी एक वजह देश में बढ़ती सड़क दुर्घटना की गंभीर समस्या है, जिसके चलते हर साल लाखों लोगो अपनी जान गंवा देते हैं. हालांकि इस बात के बारे में काफी कम लोगों को ही जानकारी होती है, कि कार कितनी सुरक्षित है. ये कैसे तय होता है और कहां तय होता है? इस खबर में हम आपको इसके बारे में ही जानकारी देने जा रहे हैं.
कार क्रैश टेस्ट
यही वो जरिया है, जिससे ये तय होता है कि कोई कार इसमें बैठी सवारी के लिए कितनी सुरक्षित है. फिर उसी के आधार पर उस कार को सेफ्टी रेटिंग दे दी जाती है. दुनियाभर में इसके लिए कई संस्थाएं हैं, जो कार की क्रैश टेस्टिंग कर रेटिंग देने का काम करती हैं. जोकि बच्चों और बड़ों दोनों के लिए अलग-अलग रेटिंग प्रदान करती हैं. अब इस लिस्ट में BNCAP के साथ भारत भी शामिल हो गया है.
कार क्रैश टेस्ट करने वाली संस्थाएं
ऐसी संस्थाएं दुनियाभर के तमाम देशों में मौजूद हैं, जिसमें ANCAP (ऑस्ट्रेलियन न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम), ARCAP (ऑटो रिव्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम), Euro NCAP (यूरोपीय न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम), ADAC (अलज़ाइमाइनर डॉयचर ऑटोमोबाइल-क्लब-जर्मनी), JNCAP (जापान न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम), L NCAP (लैटिन न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम-लैटिन अमेरिका), C-NCAP चीन न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम हैं. पहले भारत में बनने वाली गाड़ियों की टेस्टिंग भी GNCAP जैसी संस्था करती थी, लेकिन बीते दिनों भारत ने अपनी BNCAP की शुरुआत कर दी. जिसका कमांड सेंटर पुणे में है. ये संस्था 1 अक्टूबर से 2023 से गाड़ियों की टेस्टिंग शुरू कर देगी.
ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (G-NCAP) क्या है?
न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (Global NCAP) की शुरुआत अमेरिका में 1978 में की गयी थी, जिसका मकसद लोगों को कार क्रैश टेस्ट की जानकारी देना था. लेकिन 2011 से G-NCAP यूके में रजिस्टरड एक इंडिपेंडेंट संस्था है, जो कारों की सफेटी रेटिंग देने का काम करती है.
ऐसे होता है क्रेश टेस्ट
- इस टेस्ट में कार में 4-5 इंसानों की डमी को बिठाया जाता है, फ्रंट सीट पर एडल्ट और बैक सीट पर ISOFIX एंकर सीट के साथ बच्चे की डमी होती है.
- कार को एक फिक्स स्पीड पर किसी कठोर ऑब्जेक्ट से टकराया जाता है और फ्रंट साइड और पोल साइड इम्पैक्ट का आंकलन किया जाता है.
- इसके अलावा कार में मौजूद एयरबैग और सेफ्टी फीचर्स ने कितना काम किया, इसका आंकलन भी किया जाता है.
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