Road Safety: ब्लैक स्पॉट दुर्घटना के हिसाब से बेहद संवेदनशील जगह होती है. ऐसे जगह से गुजरने का मतलब दुर्घटना मोल लेने जैसा है. आखिर ये जगह इतनी खतरनाक कैसे होती हैं. इसके क्या कारण हो सकते हैं और इसका सोल्यूशन क्या है. इन जगहों को ब्लैक स्पॉट क्यों कहा जाता है. इसके बारे में आपको बताते हैं.


इसलिए होते हैं ज्यादा हादसे


किसी जगह के ब्लैक स्पॉट बनने के पीछे कई वजह हो सकती हैं. जिनमें सड़क का घनी आबादी से गुजरना, ऐसी जगह जहां से लोगों का बार-बार सड़क क्रॉस करना, सड़क बनाने में की गयी लापरवाही और सड़क की ख़राब डिज़ाइन भी ब्लैक-स्पॉट बनने की एक वजह हो सकती है. इसके साथ-साथ ये भी देखा जाता है ज्यादा आवागमन के कारण किसी जगह सड़क काफी ख़राब हो जाती है और अगर एक लंबे समय तक इस पर ध्यान न दिया जाये तो ये सड़क हादसों का घर बनने लगती है.


इसलिए कहते हैं ब्लैक स्पॉट


अगर सड़क के किसी खास एरिया में बार-बार दुर्घटनाएं हो रहीं हैं. या किसी जगह पर तीन साल के अंदर पांच या दस एक्सीडेंट हो जाते हैं तो उस जगह को ब्लैक स्पॉट घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद इन जगहों पर विशेषज्ञ टीम दुर्घटना के कारणों की जाँच कर इसका कारण जानने की कोशिश करती और इस पर सुझाव देती है. कि कैसे इस जगह को सुरक्षित बनाया जा सकता है.


सरकार का एक्शन प्लान


अगर दुर्घटना के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर साल लगभग 5 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाएं होतीं हैं. जिनमें 1.5 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. वहीं इन सड़क दुर्घटनाओं में 3 लाख से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं. इसलिए सरकार साल 2024 के अंत तक दुर्घटनाओं को कम करने और मौत के आंकड़ों में 50 प्रतिशत तक की कमी करने के लक्ष्य को लेकर काम कर रही है. सरकार सड़क दुर्घटनाओं को लेकर काफी गंभीर है और राष्ट्रीय स्तर पर ब्लैक स्पॉट की पहचान कराकर सड़क को इन स्पॉट से निजात दिलाने में लगी हुई है. 


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