वाहनों का प्रदूषण अब देश ही नहीं दुनिया के लिए ही परेशानी का कारण बना हुआ है. इसीलिए सरकारें प्रदूषण को लेकर ज्यादा सख्ती कर रहीं हैं. ट्रैफिक पुलिस अकसर इस बात की जांच करते हुए पायी जाती है कि वाहन चालकों के पास वैध PUC सर्टिफिकेट है या नहीं. किसी भी वाहन मालिक को प्रदूषण सर्टिफिकेट (PUC) तभी जारी किया जाता है जब उसके वाहन का प्रदूषण लेवल तय मानकों के हो अंदर ही हो. वैध या PUC न होने की स्थिति में आपको तगड़ा चालान भरना पड़ता सकता है.


किन-किन वाहनों के लिए PUC अनिवार्य है:


PUC (Pollution Under Control) सर्टिफिकेट कानूनी तौर पर सड़क पर चलने वाले प्राइवेट और कमर्शियल सभी तरह के वाहनों के लिए कंपल्सरी है. चाहे वो वाहन पेट्रोल, डीजल या सीएनजी से चलने वाले निजी कार, स्कूटर, बाइक हों या फिर कमर्शियल कार, बस, ट्रक, बाइक, तिपहिया वाहन. ये सभी के पास होना अनिवार्य है.


PUC कहां से बनवाएं:


आजकल PUC सर्टिफिकेट बनाने वाले प्रदूषण जांच केंद्र लगभग हर जगह पेट्रोलपंप पर उपलब्ध है. इसे आप कहीं से भी बनवा सकते हैं और ये पूरे देश में मान्य होगा. ये सर्टिफिकेट एक साल या छह महीने के लिए जारी किया जाता है. पेट्रोल पंप के अलावा भी अब प्रदूषण केंद्र तमाम जगहों पर मौजूद है. अगर आप कही सफर कर रहे हैं तो ये शहर कस्बों आदि के बाहर हाइवे या महत्वपूर्ण सड़कों पर (मोबाइल प्रदूषण केंद्र के रूप में) भी मिल जाते हैं. जहां से आप जांच करवा सकते हैं.


कैसे पता चलता है पॉल्यूशन लेवल :


हर जगह प्रदूषण जांच केंद्र पर एक कम्प्यूटर होता है. जिससे एक गैस एनालाइजर जुड़ा हुआ होता है और इसी के साथ एक कैमरा और प्रिंटर भी अटैच होता है. गैस एनालाइजर मशीन को वाहन स्टार्ट करने के बाद साइलेंसर के अंदर लगाया जाता है ताकि कंप्यूटर वाहन से निकलने वाली गैस के आंकड़े दर्ज कर ले. अगर आंकड़े तय मानकों के अनुसार होंगे तो कंप्यूटर के द्वारा प्रिंट निकालकर पीयूसी सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है. वहीं पेट्रोल, डीजल और सीएनजी सभी तरह के वाहनों के लिए प्रदूषण के मानक अलग-अलग होतें हैं.


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