अगर आप कोई पुरानी कार खरीद या बेच रहे हैं तो आप उसकी RC (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) ट्रांसफर कराना न भूलें. यह बहुत जरूरी है. ऐसा न कराने पर कार मालिक परेशानी में भी फंस सकता है. ऐसा कैसे हो सकता है, चलिए इसे एक उदाहरण के साथ समझते हैं. मान लीजिए, आपने कार बेची और उसके नए मालिक के नाम पर RC ट्रांसफर न कराने की गलती कर ली. अब अगर कार का नया मालिक कार का गैरकानूनी कामों के लिए इस्तेमाल करता है या कार से कोई एक्सीडेंट होता है, तो प्रशासन सबसे पहले उस व्यक्ति तक पहुंचेगा, जिसके नाम पर कार है यानी जिसके नाम पर कार की आरसी है. 


ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि कानूनी तौर पर वही व्यक्ति उस कार का मालिक होता है, जिसके नाम पर गाड़ी का रजिस्ट्रेशन होता है. इसलिए, हमेशा कार खरीदते और बेचते समय, आरसी ट्रांसफर जल्द से जल्द कराएं. अब अगर आप सोच रहे हैं कि कार की आरसी ट्रांसफर कहां से होती है? तो बता दें कि इसके लिए आपको संबंधित RTO जाना होगा. यहां जरूरी फॉर्म और दस्तावेज जमा कराने होते हैं.


अगर पुरानी कार होम आरटीओ (यानी मौजूदा आरटीओ क्षेत्र में ही) के अधिकार क्षेत्र में खरीदी या बेची जाती है, तो विक्रेता और खरीदार दोनों को फॉर्म 29 और फॉर्म 30 पर हस्ताक्षर करने होंगे. वहीं, अगर इस्तेमाल की गई कार एक ही राज्य में एक अलग आरटीओ के दायरे में खरीदी या बेची जाती है, तो विक्रेता और खरीदार को फॉर्म 28, फॉर्म 29 और फॉर्म 30 पर हस्ताक्षर करने होते हैं. और, अगर कार को संबंधित राज्य से बाहर बेचा गया है तो खरीदार और विक्रेता को फॉर्म 28, फॉर्म 29 और फॉर्म 30 पर हस्ताक्षर करने होंगे.


यह फॉर्म आरटीओ ऑफिस में ही मिलते हैं और इन्हें वहीं जमा कराना होता है. इसके अलावा पुरानी कार के विक्रेता को कार बेचते समय पैन कार्ड की कॉपी जैसे दस्तावेज जमा करने होते हैं. वहीं, कार के खरीदार को अपने पैन कार्ड की कॉपी, पता प्रमाण, जन्म तिथि का प्रमाण और पासपोर्ट आकार का फोटो जमा करनी होती है.


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