Hybrid vs Mild Hybrid: हाइब्रिड और माइल्ड हाइब्रिड के बीच हैं कंफ्यूज, तो यहां जानिए क्या है अंतर
माइल्ड हाइब्रिड तकनीक से लैस कारों का ड्राइविंग एक्सपीरियंस अच्छा होता है, लेकिन इन्हें पूरी तरह बैटरी पर नहीं चलाया जा सकता है, इसमें पॉवर के लिए कार फ्यूल का ही इस्तेमाल करती है.
Hybrid and Mild Hybrid Cars: कार कंपनियां लगातार अपनी गाड़ियों में नई-नई तकनीकों का प्रयोग कर रही हैं, जिससे फ्यूल की बचत के साथ साथ कारों से निकलने वाले कार्बन उत्सर्जन को भी कम किया जा सके. इन्हीं में से एक तकनीक है हाइब्रिड और माइल्ड हाइब्रिड. इसकी पिछले कुछ समय से देश में काफ़ी चर्चा है. तो चलिए जानते हैं क्या है ये टेक्नोलॉजी.
हाइब्रिड
कारों में इनका इस्तेमाल हाइब्रिड या फुल हाइब्रिड या स्ट्रांग हाइब्रिड के नाम से किया जाता है. इस तकनीक से लैस कार फ्यूल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर की कंबाइंड पावर पर तो काम करती ही है, साथ ही इनका अलग- अलग भी इस्तेमाल करती है. कम स्पीड पर चलने के लिए ये स्ट्रांग हाइब्रिड कार एक इलेक्ट्रिक कार की तरह काम करती है और जब कार की स्पीड तेज होती है तो यह अपने आप ही फ्यूल से चलने लगती है.
माइल्ड हाइब्रिड
इस तकनीक से लैस कार में भी हाइब्रिड कार की तरह एक फ्यूल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर का इस्तेमाल होता है. इसमें भी मोटर और इंजन, दोनों एक साथ इस्तेमाल होते हैं, लेकिन ये सिर्फ इंजन को सपोर्ट करने के लिए होता है, इससे ईवी मोड पर कार को नहीं चलाया जा सकता है, क्योंकि इसमें लगा इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी इतनी ज्यादा पावरफुल नहीं होती है.
माइल्ड हाइब्रिड के फायदे और नुकसान
माइल्ड हाइब्रिड तकनीक से लैस कारों का ड्राइविंग एक्सपीरियंस अच्छा होता है. लेकिन इन्हें पूरी तरह बैटरी पर नहीं चलाया जा सकता है, इसमें कार पॉवर के लिए फ्यूल का ही इस्तेमाल करती है.
हाइब्रिड के फायदे और नुकसान
हाइब्रिड कार में एक पॉवरफुल बैटरी और मोटर का इस्तेमाल किया जाता है, जिसका प्रयोग करके स्पीड कम होने पर कार को एक ईवी की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे माइलेज में बहुत अधिक सुधार देखने को मिलता है और इनसे प्रदूषण भी बहुत कम होता है. लेकिन पॉवरफुल बैटरी का इस्तेमाल होने के कारण इनकी कीमत काफी ज्यादा होती है.