सेकेंड हैंड वाहन खरीदने और बेचने के लिए अब नहीं लगाने पड़ेंगे RTO के चक्कर, इन जगहों से भी करा सकेंगे ये काम
Used Vehicle: ज्यादातर डीलर वाहन बेचने वालों से खाली सेल लेटर पर सिग्नेचर ले लेते हैं. नये नियमों के अनुसार, अब डीलर को कार बेचने से पहले अपने नाम करानी होगी ताकि मालिक की जिम्मेदारी खत्म हो जाये.
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New Rules for Used vehicle: अब पुराने वाहन खरीदने और बेचने के बीच होने वाली धोखाधड़ी से बचने के लिए रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे मिनिस्ट्री (MoRTH) ने कुछ जरूरी संशोधन किये हैं. जिससे ऐसे लोगों को कम परेशान होना पड़ेगा, जो या तो अपनी पुरानी गाड़ी बेचना चाहते हैं या अपने लिए एक पुरानी गाड़ी लेना चाहते हैं. इससे क्या फायदा होगा, इसके बारे में हम आपको आगे बताने जा रहे हैं.
नये नियमों के अनुसार ऐसे होगा काम
- जो डीलर या कंपनियां आरटीओ से रजिस्टर्ड होंगी, केवल वही वाहन खरीद या बेच पायेंगी. इससे पारदर्शिता बढ़ेगी.
- MoRTH ने केंद्रीय मोटर यान वाहन नियम 1989 के नियमों में संशोधन किया है. जिससे वाहन के ट्रांसफर में होने वाली परेशानी, थर्ड पार्टी से बकाया वसूलने का मामला, डिफाल्टर तय करने जैसी दिक्कतों से निजात पाने में आसानी होगी.
- अब रीसेल के लिए आने वाले सभी रजिस्टर्ड वाहन की जानकारी देनी अनिवार्य होगी.
- अब अधिकृत डीलर भी, कब्जे वाले वाहनों के रजिस्ट्रेशन से लेकर फिटनेस सर्टिफिकेट, एनओसी और वाहन ट्रांसफर के लिए आवेदन कर सकेंगे.
अब अधिकृत डीलर को इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का ट्रिप रजिस्ट्रेशन रखना भी जरूरी होगा. जिसमें वाहन को यूज करने की पूरी डिटेल देनी होगी. यानि उस वाहन से कहीं भी आने जाने का कारण, कितने किमी कार चली और जिस ड्राइवर ने इसे चलाया उसकी जानकारी भी देनी होगी.
इससे क्या फायदा होगा
ज्यादातर डीलर वाहन बेचने वालों से खाली सेल लेटर पर सिग्नेचर ले लेते हैं. जबकि गाड़ी हाथों-हाथ न बिक कर, इसे बिकने में कुछ समय लगता है. इस बीच में गाड़ी का यूज करने पर वाहन मालिक को इसकी जानकारी नहीं होती. लेकिन नये नियमों के अनुसार अब डीलर को कार बेचने से पहले गाड़ी अपने नाम करानी होगी. ताकि मालिक की जिम्मेदारी खत्म हो जाये.
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