Different Different Driving Rules in the World: हमारे देश में रास्तों पर बायीं तरफ (लेफ्ट हैंड साइड) चलने का नियम है, जबकि दुनिया के कई देशों में बायीं तरफ (राइट हैंड साइड) चलने का नियम है. जो आजकल अक्सर फिल्मो में देखने को मिल जाता है. हालांकि इसके पीछे कई तरह की वजह बताई जाती हैं, जो इतिहास से लेकर संस्कृति और वैज्ञानिकता से भी जुडी हुई हैं. जिसके बारे में हम आपको आगे जानकारी दने जा रहे है.


बायीं तरफ चलतीं थी घोड़ा गाड़ी, दाएं हाथ से होती थी लड़ाई


बायीं तरफ ड्राइविंग वाले देशों में ये तर्क दिया जाता है कि, घोड़ा गाड़ी के समय में लोग घोड़ा गाड़ियों को बाएं हाथ से चलाते थे, ताकि जरुरत पड़ने पर बाएं हाथ से लड़ाई की जा सके या किसी के हमले से बचा जा सके. क्योंकि ज्यादातर लोग दाहिने हाथ का प्रयोग ज्यादा करते हैं. बाद में जैसे-जैसे वाहनों का आगमन हुआ, उसे भी उसी हिसाब से चलाना शुरू कर दिया. हालांकि ये चलन खासकर उन देशों में ज्यादा देखने को मिलता है, जो देश कभी ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहे हैं.


दायीं तरफ गाड़ी चलाने को क्यों माना जाता है ज्यादा सुरक्षित


दरअसल, जिन देशों में दायीं और गाड़ियों के चलने का नियम हैं, उसके पीछे की वजह ज्यादातर लोगों के दाएं हाथ के प्रयोग को माना जाता है. साथ ही ये तर्क भी दिया जाता है कि, दायीं और गाड़ी चलाने से सामने की तरफ से आने वाले वाहनों को ज्यादा बेहतर तरीके से देखा जा सकता है, जिससे दुर्घटना होने की संभावना कम रहती है.


दायीं ओर गाड़ी चलाना ज्यादा सुरक्षित


देशों की अलग-अलग साइड ड्राइविंग को लेकर विश्व स्वास्थ्य संघठन की एक रिसर्च की जिसके अनुसार, जिन देशों में दायीं और गाड़ियां चलती है उन देशों में सड़क दुर्घटना के मामले, बायीं तरफ वाले देशों की तुलना में कम होते हैं. वहीं स्वीडिश नेशनल रोड एंड ट्रांसपोर्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक दूसरी  रिसर्च के मुताबिक, बाएं हाथ की बजाय दाएं हाथ से ड्राइविंग करने से सड़क दुर्घटनाओं में 40% तक की कमी की जा सकती है. वहीं 1792 में फ़्रांस में दायीं ओर ड्राइविंग शुरू की गयी तो, स्वीडन में भी 1967 में दायीं ओर ड्राइविंग शुरू की गयी.


ऐतिहासिक होने की ज्यादा संभावना


अलग-अलग देशों में इसे लेकर अलग-अलग राय और तर्क दिए जाते हैं, जबकि इस बात की अधिक संभावना देखी जाती है, कि सड़क पर चलने और यात्रा करने की परम्परा सदियों पुरानी है. जोकि अलग अलग देशों में अलग-अलग हुआ करती थी. बाद में वाहनों का अविष्कार हुए और उन्होंने भी घोड़ा गाड़ियों वाले यातायात नियमों को अपना लिया.


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