टेक्नोलॉजी के मामले में ऑटो इंडस्ट्री काफी तेजी से आगे बढ़ रही है. नई कारों में गजब की टेक्नोलॉजीज का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि, इन टेक्नोलॉजीज के कारण कारों की कीमत बढ़ जाती है लेकिन कीमत बढ़ने के साथ-साथ कार में फीचर्स भी ज्यादा मिलते हैं. हालांकि, कई बार लोगों के पास ज्यादा पैसा खर्च करने का बजट नहीं होता. अगर आप भी ऐसे लोगों में शामिल हैं तो आज हम आपको कुछ ऐसे फीचर्स के बारे में जानकारी देने वाले हैं, जिनका कार की प्राइसिंग में काफी योगदान होता है लेकिन अगर वह फीचर्स कार में न हो, तब भी ड्राइविंग अनुभव पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता जबकि कार की कीमत घट जाती है.


सनरूफ 
शौक-शौक में लोग सनरूफ वाली कार खरीद तो लेते हैं लेकिन कार में सनरूफ होने से उसकी कीमत बिना सनरूफ वाले वेरिएंट से ज्यादा हो जाती है. दोनों में कम से कम एक लाख रुपये से भी ज्यादा का अंतर होता है. वहीं, अगर देखा जाए तो सनरूफ का इस्तेमाल काफी कम होता है.


सैटेलाइट नेविगेशन
कार में सैटेलाइट नेविगेशन का फीचर है, यह सुनने में तो काफी अच्छा लगता है लेकिन अधिकांश कारों में सैटेलाइट नेविगेशन धीमा होता है. इसे रोज अपडेट करने में परेशानी होती है. वहीं, नेविगेशन का काम Apple CarPlay और Android Auto से भी हो जाता है. सैटेलाइट नेविगेशन वाली कारों की कीमत ज्यादा होती है.


ऑडियो और एसी कंट्रोल वाली टचस्क्रीन
कई कारों में ऑडियो सिस्टम और एसी कंट्रोल को बटनों के साथ न देकर, टचस्क्रीन में दिया जाने लगा है. इससे कार की कीमत बढ़ जाती है. यह देखने में अच्छा लगता है. हालांकि, इसके बिना भी काम चल सकता है.


हेडलाइट वाशर और वाइपर
हेडलाइट वाशर और वाइपर, सेडान तथा हैचबैक कार के लिए बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता है. इन कारों में हेडलाइट वाशर और वाइपर की खास जरूरत नहीं होती है. हालांकि, एसयूवी और ऑफरोडर्स में इनका इस्तेमाल हो सकता है. इनके होने से भी काम की कीमत बढ़ जाती है.


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