किसी एक कार मॉडल के लिए कंपनी का किसी अन्य कार निर्माता से बना हुआ इंजन लेना आज कल आम हो गया है. ऐसे कई सारे उदाहरण हैं और यह बड़े कार निर्माताओं के लिए आम बात है. मारुति सुज़ुकी की स्विफ़्ट कार का 1.2 लीटर पेट्रोल इंजन मारुति की कई अन्य कारों जैसे डिज़ायर, वैगनआर, बलेनो, इग्निस सहित अन्य कारों में लगा होता है. वहीं, कई और कारें है, जिनमें एक ही इंजन लगा है. चलिए आपको कुछ और कारों के बारे में बताते हैं, जिनके साथ ऐसा है.
अगर बात Tata Harrier और Jeep Compass की करें तो दोनों ही 2.0 लीटर मल्टी जेट टर्बो डीज़ल इंजन का प्रयोग करती हैं. टाटा का दावा है कि उसने हैरियर की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए इंजन को थोड़ा मॉडिफॉई किया है. जबकि इसका इंजन अब भी वही 170 bhp की मैक्सिमम पॉवर और 350 एनएम की पीक टॉर्क जेनरेट करता है. 1.3 लीटर टर्बो डीज़ल इंजन को फ़िएट, मारुति सुज़ुकी, Chevrolet और टाटा मोटर्स जैसे कार ब्रांड में इस्तेमाल किया जा चुका है.
फ़ॉक्सवैगन टाइगुन और स्कोडा कुशाक में एक ही TSI पेट्रोल इंजन लगा है. दोनों कारों में 1.5 लीटर TSI यूनिट और 1.0 लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन के विकल्प के तौर पर प्रयोग किया जाता है. 1.0 लीटर TSI इंजन से 115 bhp की पॉवर और 178 Nm की टॉर्क जेनरेट करने में सक्षम है, जबकि 1.5 लीटर TSI इंजन से 147 bhp की पॉवर और 250 Nm की पीक टॉर्क जेनरेट करने में सक्षम है.
मौजूदा समय में ऑटो इंडस्ट्री में किसी एक कार मॉडल के लिए कंपनी का किसी अन्य कार निर्माता से बना हुआ इंजन लेना आम है. लेकिन बहुत कम लोगों को इसके बारे में जानकारी है. बहुत लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं.
यह भी पढ़ें-
कभी भी रेड लाइट पार की है तो तुरंत ऐसे देखें कि चालान कटा या नहीं
पहाड़ों के ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलाने के लिए कैसी कारें होती हैं बेस्ट? यहां जानिए
Car loan Information:
Calculate Car Loan EMI