देश में एक नए युग की शुरुआत है. कार बनाने वाली कंपनी टोयोटा भारत में पहली बार फ्लेक्स फ्यूल कार पेश करेगी. फ्लेक्स फ्यूल का मतलब है, ऐसा तेल जो पेट्रोल और एथनॉल का मिश्रण होगा. कार पेश होने के बाद लोगों के मन में कई सवाल हैं. हमने कोशिश की है कि जरूरी पांच सवालों के जवाब दिए जाएं जो कार खरीदारों से ताल्लुक रखते हैं.


सवाल-1: भारत में पहली फ्लेक्स फ्यूल कार लॉन्च कब होगी? ये शोरूम में कबसे मिलेगी? 
जवाब: पहली फ्लेक्स फ्यूल कार लॉन्च होने की सटीक तारीख अभी किसी कंपनी ने नहीं बताई है. टोयोटा ने देश की पहली फ्लेक्स फ्यूल कार पेश की है, जिसका इंजन सामान्य कारों की तरह 2.0 इंजन होगा. इसके प्रोडक्शन में अभी समय लगेगा और इसके बाद ही शोरूम से इसकी बिक्री शुरू होगी. टोयोटा के अलावा कई अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियां भी फ्लेक्स फ्यूल इंजन पर काम कर रही हैं. 


सवाल-2: सबसे पहली फ्लेक्स फ्यूल कार कब लॉन्च हुई थी? दुनिया के कितने देशों में फ्लेक्स फ्यूल कारें चल रही हैं
जवाब: Esurance के मुताबिक दुनिया की पहला फ्यूल वाहन 1996 में पेश किया गया था. इसे फोर्ड लेकर आई थी. ये कार नहीं थी बल्कि एक कमर्शियल वाहन था. अभी दुनिया में सबसे ज्यादा फ्लेक्स फ्यूल कारें ब्राजील में चलती हैं. एक डेटा के मुताबिक मार्च 2018 तक ब्राजील में कार, बाइक और लाइट ड्यूटी ट्रक को मिलाकर करीब 30.5 मिलियन यानी तीन करोड़ से ज्यादा ऐसे वाहन थे, जो फ्लेक्स फ्यूल से चलते हैं. इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर अमेरिका है, जहां 2018 में करीब 2 करोड़ वाहन फ्लेक्स फ्यूल मॉडल के हैं. 


सवाल-3: क्या फ्लेक्स फ्यूल कार का इंजन अलग होगा? क्या ये पेट्रोल के मुकाबले ज्यादा माइलेज देगी या कम?
जवाब: हां, फ्लेक्स फ्यूल कार का इंजन थोड़ा अलग होगा. इसे डेवलप करने में भी समय लगता है. इसलिए कंपनियां, डिमांड और मार्केट को देखते हुए धीरे-धीरे इस तरफ बढ़ रही हैं. जैसे CNG और पेट्रोल कार की तकनीक में अंतर होता है, इसी तरह फ्लेक्स फ्यूल इंजन की तकनीक भी अलग होगी. 


ग्रीन कार कांग्रेस की एक स्टडी कहती है कि फ्लेक्स फ्यूल वाली कार, पेट्रोल से ज्यादा बढ़िया माइलेज देती हैं. हालांकि, यह एथनॉल की मात्रा पर निर्भर करता है कि उसे पेट्रोल में कितने प्रतिशत मिलाया गया है. 


यहां देखें ग्रीन कार कांग्रेस की पूरी रिपोर्ट (https://www.greencarcongress.com/2007/12/study-finds-cer.html)


सवाल-4: फ्लेक्स फ्यूल में इस्तेमाल होने वाला E8, E20, E83, E85 इनका मतलब क्या है?
जवाब: फ्लेक्स फ्यूल में E8, E20, E83 की चीजें इस्तेमाल होती हैं. इस में E का अर्थ है, एथनॉल फ्यूल ब्लेंड. जो संख्या E के आगे लिखी है, वो दर्शाती है कि कितने परसेंट एथनॉल, पेट्रोल में मिलाया गया है. मान लीजिए E85 है, तो इसका मतलब है E85 फ्लेक्स फ्यूल में, एथनॉल की मात्रा 85 प्रतिशत है और पेट्रोल की 15 परसेंट.


सवाल-5: भारत में अभी फ्लेक्स फ्यूल को लेकर क्या चल रहा है? क्या इनका पेट्रोल पंप अलग होगा या जो हैं वहीं ये तेल मिलेगा?
जवाब: अगर टोयोटा की बात करें तो आज वो E85 फ्लेक्स फ्यूल कार पेश करेगी. लेकिन रोड एंड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी ने कई बार कहा है कि देश में जल्द ही 100 परसेंट एथनॉल वाली कारें भी नजर आएंगी.  दिसंबर 2021 में केंद्र सरकार ने ऑटोमोबाइल कंपनियों को एक एडवाइजरी जारी की थी वह फ्लेक्सिबल फ्यूल इंजन बनाने की तरफ बढ़ें. सरकार ने 1 अप्रैल, 2025 से फ्लेक्स फ्यूल बाजार में लाने का लक्ष्य रखा है. शुरुआत 80 प्रतिशत पेट्रोल और 20 प्रतिशत इथेनॉल के साथ होगी. हालांकि, अभी भी पेट्रोल ब्लेंडिंग होती है, लेकिन वह काफी कम मात्रा में है. सरकार 2030 तक 200 प्रतिशत इथेनॉल वाहनों के लक्ष्य को लेकर चल रही है. एथेनॉल से पेट्रोल के मुकाबले कम धुआं होता है और यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है. अभी तक की स्थिति में फ्लेक्स फ्यूल भी मौजूदा पेट्रोल टंकी पर ही मिलेगा, लेकिन आगे इसके लिए अलग इंफ्रास्ट्रक्चर भी बनाया जा सकता है.


सवाल-6: इथेनॉल किससे बनता है?
उत्तर: एथनॉल, चावल, मक्का और शुगर का बाई प्रोडक्ट है.   


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