इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड और प्लग-इन हाइब्रिड में क्या है अंतर, जानिए पूरी डिटेल्स
इन वाहनों की टेक्नोलॉजी और कार्यप्रणाली एक दूसरे से बहुत अलग हैं. ये सभी ग्रीनर व्हीकल इलेक्ट्रिफाइड व्हीकल सेगमेंट में हैं.
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गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन पर इसके प्रभाव के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ लोगों का रुझान हरित और इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ रहा है. इनमें बैटरी इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड और प्लग-इन हाइब्रिड कारें शामिल हैं. जबकि ये सभी ग्रीनर व्हीकल इलेक्ट्रिफाइड व्हीकल सेगमेंट में स्थित हैं, इन वाहनों की टेक्नोलॉजी और कार्यप्रणाली एक दूसरे से बहुत अलग हैं. यहां एक क्विक व्यू है जो तीन प्रकार के इलेक्ट्रिफाइड वाहनों को एक दूसरे से अलग बनाती है.
इलेक्टिक व्हीकल (Electric vehicles)
इलेक्ट्रिक व्हीकल पावरट्रेन बैकअप के रूप में बिना किसी पेट्रोल या डीजल इंजन के पूरी तरह से इलेक्ट्रिक आते हैं. जहां वर्तमान इलेक्ट्रिक वाहन एक बार चार्ज करने पर 800 किमी तक की क्रूज़िंग रेंज की पेशकश करते हैं, वहीं अधिकांश इलेक्ट्रिक वाहन 500 किमी क्रूज़िंग रेंज की पेशकश करते हैं. इलेक्ट्रिक वाहन चलाने का अनुभव पारंपरिक जीवाश्म-ईंधन से चलने वाले वाहन से अलग है. ये रीजनरेटिव ब्रेकिंग के साथ आते हैं. शहरी ड्राइविंग एनवायमेंट में बम्पर-टू-बम्पर ट्रैफ़िक में ईवी ठीक काम करती हैं लेकिन हाइवे पर कम माइलेज देते हैं.
हाइब्रिड व्हीकल (Hybrid vehicles)
एक हाइब्रिड व्हीकल दो पावरट्रेन, एक पेट्रोल इंजन और एक इलेक्ट्रिक मोटर को मिलाकर आती है. ये दोनों ज्यादा माइलेज के लिए एक साथ काम करते हैं. यदि इंजन पूरी तरह से बंद हो जाता है, तो वाहन बैटरी से चलता है. हालांकि, यह तकनीक चुनिंदा हाइब्रिड व्हीकल्स में उपलब्ध है. हाइब्रिड कारों में बैटरी सीधे ब्रेकिंग या पेट्रोल इंजन से जेनरेट ऊर्जा से चार्ज होती है. हाइब्रिड कारें न केवल ज्यादा रेंज प्रदान करती हैं बल्कि फ्यूल भी बचाती हैं.
प्लग-इन हाइब्रिड (Plug-in hybrid)
प्लग-इन हाइब्रिड व्हीकल को PHEV भी कहा जाता है. ये वाहन चुनिंदा रेंज के लिए पूरी तरह से इलेक्ट्रिक पावर से चल सकते हैं. एक बार बैटरी खत्म हो जाने के बाद PHEV पारंपरिक हाइब्रिड की तरह काम करते हैं और पेट्रोल और इलेक्ट्रिक पावरट्रेन के बीच स्विच करते हैं. इन वाहनों को ज्यादा EV रेंज प्राप्त करने के लिए रोजाना चार्ज करने की जरूरत होती है.
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