Road safety: भारत में आधिकारिक तौर पर भारत एनकैप की शुरुआत 1 अक्टूबर से की जा चुकी है, जिसका काम भारत में गाड़ियों को सुरक्षा रेटिंग प्रदान करना होगा. ताकि रोड सेफ्टी में सुधार लाकर दुर्घटनाओं में कमी लायी जा सके.


भारत एनकैप से जुड़े एक सरकारी पैनल के ड्राफ्ट के मुताबिक, जो कार बनाने वाली कंपनियां अपनी कार में कनेक्टेड टेक जैसे फीचर्स की पेशकश करेंगी, जिससे व्हीकल तो व्हीकल और अन्य बाहरी सिस्टम के साथ कम्यूनिकेट किया जा सके. इसके चलते उनकी कारों को क्रैश टेस्ट में बेहतर रेटिंग मिल सकती है, जिससे रोड सेफ्टी को बढ़ाने में मदद मिलेगी.


देश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या काफी ज्यादा है, जिसके चलते ऑटोमोबाइल कंपनियां अपनी गाड़ियों को कनेक्टेड कार टेक से लैस कर सकती हैं. इस टेक्नोलॉजी में ड्राइवर्स आदि को वार्निंग देने के लिए एयर वेव्स (हवाई तरंगो) का प्रयोग किया जाता है, साथ ही सड़क पर मौजूद सिस्टम जैसे ट्रैफिक लाइट्स आदि से भी कम्युनिकेट किया जा सकता है. क्योंकि सड़क पर ज्यादातर समस्याएं ट्रैफिक इश्यूज से जुडी हुई होती हैं.


जब सडकों पर इस तरह की प्रॉब्लम सामने होती है, तब ज्यादातर सेंसर काम नहीं करते. ऐसे में कारों में मौजूद ये टेक्नोलॉजी इस गैप को भरने का काम करेगी, जिसे कनेक्टेड टेक्नोलॉजी और व्हीकल तो एवरीथिंग (V2X) नाम से जाना जाता है.


पैनल के मुताबिक, भारत एनकैप में V2X को कार सेफ्टी रेटिंग के लिए कंसिडर किया जाना चाहिए, जोकि सेफ्टी फीचर के तौर पर जरुरी है. हालांकि इस अडॉप्ट करने के लिए कोई डेडलाइन तय नहीं की गयी है. रिपोर्ट में यूरोप एनकैप का भी जिक्र है. यूरो एनकैप नियमों के मुताबिक, में व्हीकल कनेक्टिविटी को एक महत्वपूर्ण फीचर के रूप में माना जाता है, जोकि कार क्रैश को रोकने में अहम रोल अदा करता है. जबकि चीन और अमेरिका सेफ्टी को इम्प्रूव बढ़ाने के लिए इसे लागू करने पर विचार कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, ऑटोमोबाइल कंपनियों ने एडवांस्ड कनेक्टिविटी फीचर्स पर काम करना शुरू कर दिया है, लेकिन इसे कब से अमल में लाया जायेगा. इसकी टाइमलाइन के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है.


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