(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Petrol/Diesel Cars to EV: पुरानी पेट्रोल/डीजल इंजन कारों को ईवी में बदलवाने पर सब्सिडी देने पर विचार कर रही दिल्ली सरकार, खुद कराएंगे तो आएगा इतना खर्च
एक पुरानी पेट्रोल या डीजल कार में इलेक्ट्रिक किट लगवाने का मतलब सबसे पहले इसमें मौजूद ICE और इससे जुड़े सभी तरह के पार्ट्स को अलग करना है.
ICE to EV: टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक खबर के मुताबिक, दिल्ली सरकार ऐसे गाड़ी मालिकों को सब्सिडी देने पर विचार कर रही है, जो अपनी पुरानी पेट्रोल/डीजल कार को इलेक्ट्रिक कार में बदलवाना चाहते हैं. इसके अलावा दिल्ली सरकार ने अपनी मौजूदा ईवी पालिसी को अगले 6 महीने के लिए और बढ़ा दिया है. जबकि नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पालिसी पर अभी काम जारी है, जिसमें ICE कार को ईवी में कन्वर्ट करने का प्रावधान देखने को मिल सकता है. क्योंकि अपनी मौजूदा कार को ईवी में कन्वर्ट करवाना भी नई इलेक्ट्रिक कार खरीदनें से बेहतर ऑप्शन हो सकता है.
दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री, कैलाश गहलोत के मुताबिक, लोग अपनी ICE इंजन गाड़ियों को ईवी में बदलवाने के लिए तैयार हैं. हालांकि ये प्रोसेस महंगा है. अनुमान के तौर पर एक नार्मल कार को ईवी में बदलवाने के लिए लगभग 5-6 लाख रुपए का खर्च आता है, क्योंकि ICE गाड़ी को ईवी में कन्वर्ट करवाने में काफी मॉडिफिकेशन और काम की जरुरत होती है, जोकि काफी महंगा है. जिस पर हम सब्सिडी देने पर विचार कर रहे हैं.
ऐसे होती है कन्वर्ट
एक पुरानी पेट्रोल या डीजल कार में इलेक्ट्रिक किट लगवाने का मतलब सबसे पहले इसमें मौजूद ICE और इससे जुड़े सभी तरह के पार्ट्स को अलग करना है. जोकि किसी भी ऑथराइज वर्कशॉप में किया जायेगा, जिसमें इंजन, फ्यूल लाइन्स, फ्यूल टैंक, फिल्टर्स, एसी यूनिट जैसी कई चीजें शामिल हैं और आखिर में गाड़ी का चैसिस, केबिन, व्हील, ब्रेक्स बचते हैं. जिसके बाद ट्रेंड टेक्नीशियन इलेक्ट्रिक कन्वर्जन किट की फिटिंग शुरू करते हैं. जिसमें मोटर और मोटर को घूमने वाला कंट्रोलर, पूरा वायरिंग सिस्टम और बैटरी पैक के बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम आदि शामिल होते हैं. ये प्रोसेस आसान न होकर काफी मेहनत, इंजीनियरिंग और पैसे लगाने वाला काम है.
ये खर्चीला क्यों है?
एक इलेक्ट्रिक कन्वर्जन किट में सबसे ज्यादा कीमती चीज इसकी बैटरी होती है, जो ईवी को ताकत देने का काम करती है. एक अनुमान के मुताबिक, 1 किलोवॉट लिथियम आयन बैटरी की कीमत लगभग 14,000 रुपए है. यानि अगर कोई अपनी कार को 250-300 किमी तक की रेंज के हिसाब से रेट्रो फिटिंग करवाता है, तो 25-30 किलोवॉट कैपेसिटी के बैटरी पैक की जरुरत होगी. जिसकी कीमत लगभग 3.5 लाख रुपए के आसपास होगी, जोकि केवल बैटरी का खर्चा है. इसके बाद इलेक्ट्रिक मोटर, मोटर कंट्रोलर, BMS जैसे पार्ट्स भी होते हैं, जिनकी कीमत 2.5 से 3 लाख रुपए से ज्यादा होती है, जोकि बैटरी के अलावा होता है. इसके अलावा अगर आप एसी आदि भी लगवाते हैं, तब लगभग 1 लाख रुपए और खर्च करना होगा. जबकि अभी इसमें लेबर चार्ज शामिल नहीं हैं.
एक पुरानी कार पर इतना खर्चा करना सही है?
हालांकि, ईवी किट रेट्रोफिटिंग के बाद पुरानी कार को कई सालों तक यूज किया जा सकता है. लेकिन किसी को भी एक 10-15 साल पुरानी कार पर इतना बड़ा इन्वेस्टमेंट करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है. जिसमें गाड़ी की एज, आगे गाड़ी को कितने साल और यूज किया जा सकता है, इसके लिए बीमा किया जा सकता है या नहीं आदि.
हालंकि, ग्राहक के हिसाब से नई ईवी खरीदना ज्यादा फायदे का सौदा है. जिसकी वजह इस पर मिलने वाली वारंटी, रिलायबिलिटी और फाइनेंस ऑप्शन है. क्योंकि पुरानी कार को ईवी में कन्वर्ट करना भी सस्ता नहीं है. हालांकि दिल्ली की नई ईवी पालिसी 2.0 में इस पर कितनी सब्सिडी ऑफर की जा रही है. ये देखना भी जरुरी है.