दिल्ली में सफर करने वालों के लिए गुड न्यूज! अब मिलेगी ट्रैफिक से राहत और टोल टैक्स भी देना होगा कम, जानें कैसे
दिल्ली में अब रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस यानि RFID सिस्टम लगाए जा रहे हैं, जिससे अब कॉमर्शियल व्हीकल्स के मालिकों को राहत मिलेगी. साथ ही ट्रैफिक से भी निजात मिलेगी.
अगर आप भी अपने बिजनेस या फिर दूसरे कामों के लिए आस-पास के राज्यों से दिल्ली आते जाते रहते हैं तो आपके लिए गुड न्यूज है. अब आपको न सिर्फ दिल्ली के भारी ट्रैफिक जाम से निजात मिलेगी बल्कि टोल टैक्स भी कम देना होगा. यही नहीं वायु प्रदूषण से भी आपका बचाव होगा. दरअसल साउथ दिल्ली नगर निगम ने इन सबके लिए खास तरीका चुना है. यानि अब एक नई टेक्नोलॉजी रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस (RFID) डेटाबेस को Fastag के साथ जोड़ दिया है और एक सितंबर से दिल्ली के सभी 124 टोल नाकों पर RFID टैग से कॉमर्शियल व्हीकल्स की एंट्री को मेंडेटरी कर दिया है.
क्या है RFID?
साउथ दिल्ली नगर निगम के इस कदम से कॉमर्शियल व्हीकल्स ऑपरेटर्स को टोल टैक्स कम देना पड़ेगा. अभी कॉमर्शियल व्हीकल्स के लिए दिल्ली की सीमाओं पर एक अलग तरह का चिप खरीदनी पड़ती है. साउथ दिल्ली नगर निगम के मुताबिक सबसे पहले बदरपुर बॉर्डर एंट्री पॉइंट पर भी इसे लागू किया जाएगा. फिलहाल यहां पर कुछ ही मीटर की दूरी पर दो टोल कलेक्शन सिस्टम हैं. इसमें से एक म्युनिसिपल कॉरपोरेशन का है और दूसरा नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया का है. वहीं इन दोनों को आपस में लिंक करने की डिमांड है.
13 जगहों पर लगे RFID सिस्टम
निगम के मुताबिक फिलहाल जो हालात हैं उससे ज्यादा ट्रैफिक जाम होता है. दिल्ली में टोटल 124 बॉर्डर पॉइंट हैं, जहां इन व्हीकल्स को टोल टैक्स चुकाना पड़ता है. इनमें से अब 13 प्रमुख स्थानों पर RFID सिस्टम लगा दिए गए हैं. इनसे ही करीब 85 प्रतिशत कॉमर्शियल व्हीकल्स का ट्रैफिक दिल्ली में आता है. एक बॉर्डर प्वाइंट पर इंटिग्रेशन का खर्च कम से कम एक से डेढ़ करोड़ रुपये आता है.
सबसे ज्यादा बदरपुर से एंट्री लेते हैं कॉर्मशियल व्हीकल्स
बता दें कि दिल्ली में सबसे ज्यादा कॉमर्शियल व्हीकल्स बदरपुर और रजोकरी बोर्डर से एंट्री लेते हैं. हरियाणा की तरफ से खासतौर पर फरीदाबाद से आ रहे कॉमर्शियल व्हीकल्स को दो बार टोल टैक्स देना पड़ता है और इसी वजह है कि सबसे पहले वहीं इटिग्रेशन किया जाएगा. इसके बाद रजोकरी का नंबर आएगा. जहां पहले ये प्रोजेक्ट पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण की निगरानी में हो रहा था, वहीं अब यह कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट एनसीआर के अंडर में काम कर रहा है.
ये भी पढ़ें
कोरोना की चपेट से उबरने लगा ऑटो सेक्टर, अगस्त में पैसेंजर व्हीकल्स की रिटेल सेल्स 39 फीसदी बढ़ी
Ola Electric Scooter: बदल गई इस पॉपुलर इलेक्ट्रिक स्कूटर की बिक्री की तारीख, जानें कब शुरू होगी सेल