Passenger Vehicle Demand in India: इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, भारत में इस बार पहली छमाही में ही कारों की बिक्री 20 लाख के आंकड़े को पार कर गयी. जोकि किसी भी कैलेंडर ईयर में पहली बार देखने को मिला है. जिसमें ऑटोमोबाइल कंपनियों द्वारा लॉन्च किये नए मॉडल्स की खास भूमिका रही.
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था द्वारा केवल आधी साल में इतनी बड़ी संख्या में बेच जाना, मेक्सिको, ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में पूरी साल में बिकने वाली गाड़ियों की संख्या के बराबर है.
2023 में पहली छमाही में ही भारतीय पैसेंजर कार बाजार में सपाट 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. जोकि लगातार तीसरी छमाही होगी, जिसमें बिक्री में डबल अंकों की बढ़ोतरी होगी. जबकि इससे पहले साल 2022 की पहली छमाही में 16 प्रतिशत और दूसरी छमाही में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिल चुकी है.
केवल चीन और यूएस आगे
भारत में पैसेंजर गाड़ियों की बिक्री के आंकड़ों को देखते हुए, खासकर पिछली साल की दूसरी छमाही भारत 2023 में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार बाजार बनकर उभरा है.
2030 तक 6-7 मिलियन पहुंचने की उम्मीद
वहीं उम्मीद की जा रही है कि, 2023 तक भारत में बिकने वाली गाड़ियों की संख्या 6-7 मिलियन तक पहुंच सकती है. जोकि कार निर्माता कंपनियों द्वारा लगाया जा रहा अनुमान है.
12 साल से ज्यादा का लगा वक्त
भारतीय कार बाजार में बिक्री को दोगुना होने में 12 साल से ज्यादा का समय लगा है. जबकि घरेलू बाजार में 10 लाख गाड़ियों की बिक्री के आंकड़े को छूने में लगभग 5 साल का समय लगा. जोकि जून 2010 में पूरा हुआ.
हर महीने बिकीं 3,00,000 से ज्यादा गाड़ियां
ये पहली बार हुआ है, जब भारत हर महीने बिकने वाली गाड़ियों की संख्या 30,0000 यूनिट्स से ज्यादा रही.
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