EV vs Non EVs: आप के लिए कौन सी कार बेस्ट होगी, पेट्रोल-डीजल या इलेक्ट्रिक? ऐसे करें फैसला
फ्यूल बेस्ड गाड़ियां प्रदूषण का एक बड़ा कारण हैं, इसके चलते ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी बढ़ोतरी जारी है. भविष्य में इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
Ev vs Petrol Car vs Diesel Car: अब ढेर सारे ऑप्शन के चलते कार खरीदते समय ग्राहक का कंफ्यूज होना लाजमी है. खासकर इलेक्ट्रिक कार और ICE कारों के बीच, कि किसे खरीदा जाये. ये तब और ज्यादा मुश्किल काम लगता है, जब आप आराम से इलेक्ट्रिक और नॉन इलेक्ट्रिक कार खरीदने की स्थिति में हैं. हालांकि दोनों ही तरह की कारों में से किसी का चुनाव करना न केवल पर्यावरण पर भी असर डालेगा, बल्कि आपकी जेब पर भी असर डालेगा. क्योंकि दोनों ही तरह की गाड़ियों के अपने नुकसान और फायदे हैं. जिनके बारे में हम आगे जानकारी देने जा रहे हैं.
इलेक्ट्रिक कार के फायदे
कम खर्च- इलेक्ट्रिक गाड़ियां अपने कम खर्च के लिए जानी जाती हैं, क्योंकि इलेक्ट्रिसिटी, पेट्रोल डीजल की तुलना में सस्ती पड़ती है. कार इलेक्ट्रिक कार यूज करने वाला व्यक्ति इलेक्ट्रिक कार यूज कर ठीक ठाक बचत कर सकता है.
टैक्स में बचत- सरकार की तरफ से इलेक्ट्रिक गाड़ियों को अपनाने के लिए कई तरह की छूट ऑफर की जाती है, जिसके चलते ये गाड़ियां अपनी वास्तविक कीमत की तुलना में काफी सस्ती हो जाती हैं. जिससे इन्हें खरीदना आसान हो जाता है.
कम मेंटेनेंस खर्च- पेट्रोल डीजल गाड़ियों की तुलना में इलेक्ट्रिक कारों में कम पार्ट्स का यूज होता है, जिसकी वजह से इनकी मेंटेनेंस कॉस्ट काफी कम हो जाती है और इस पर ICE गाड़ियों के मुकाबले कम खर्च करने की जरुरत होती है.
रीसेल वैल्यू- धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग बढ़ती ही जा रही है, जिसके चलते इसकी रीसेल वैल्यू के भी अच्छे मिलने के चांस ज्यादा रहते हैं. ये ऑप्शन उनके लिए काफी जो जल्दी-जल्दी अपनी गाड़ियां बदलते रहते हैं.
इलेक्ट्रिक कार के नुकसान
शुरुआती कीमत काफी ज्यादा होती है, जिसे ऐसे लोगों के लिए अफोर्ड करना काफी मुश्किल है, जो बजट कार खरीदने की सोच रहे होते हैं. हालांकि सरकार की तरफ से ईवी खरीदने पर काफी प्रोत्साहन दिया जाता है. बाबजूद इसके ये पेट्रोल-डीजल कारों की तुलना में काफी महंगी होती हैं.
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी- हालांकि, अब धीरे-धीरे इसमें तेजी लायी जा रही है, फिर भी पेट्रोल पंप और ईवी की संख्या की तुलना में ये अभी काफी पीछे है. जिसके चलते इलेक्ट्रिक कार खरीदने में ग्राहक की हिचकाहट वाज़िब है.
डेप्रीशिएशन कंसर्न- आये दिन नयी टेक्नोलॉजी आने के चलते गाड़ियां लगातार अपडेट होती जा रहीं हैं और नए-नए फीचर्स देखने को मिलते है, जिसके चलते इसकी बिक्री के समय कम कीमत भी मिल सकती है.
नॉन इलेक्ट्रिक कारों के फायदे
बजट कीमत- पेट्रोल-डीजल-सीएनजी गाड़ियां, इलेक्ट्रिक कारों की कीमत ईवी के मुकाबले कम होती है. इसलिए इन्हें खरीदना काफी आसान होता है, ग्राहकों को ज्यादा सोचना नहीं पड़ता.
पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर- पेट्रोल-डीजल सीएनजी गाड़ियों के लिए तगड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है, जिसके चलते फ्यूल लेने में कोई परेशानी नहीं होती और ईवी की चार्जिंग के मुकाबले इसमें न के बराबर समय लगता है. जिसके चलते ग्राहक इन गाड़ियों पर ज्यादा भरोसा करते हैं.
ऑप्शन की भरमार- नॉन इलेक्ट्रिक गाड़ियों के ऑप्शन की तगड़ी रेंज मार्केट में मौजूद है, जिसके चलते ग्राहकों को अपना पसंदीदा ऑप्शन चुनने में आसानी हो जाती है.
नॉन इलेक्ट्रिक कारों के नुकसान
पेट्रोल डीजल की कीमत ज्यादा- नॉन इलेक्ट्रिक गाड़ियों को अफ़्फोर्ड कर पाना अब काफी महंगा होता जा रहा है, जिसकी वजह तेल की ऊंची कीमतें हैं. ऊपर गाड़ियों का कम माइलेज, जिसके चलते इनकी रनिंग कॉस्ट इलेक्ट्रिक गाड़ियों के मुकाबले काफी ज्यादा होती है.
महंगा मेंटेनेंस- ICE गाड़ियों का मेंटेनेंस इलेक्ट्रिक गाड़ियों के मुकाबले काफी महंगा पड़ता है, जिसकी वजह इनमें इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तुलना मैं पार्ट्स का ज्यादा होना है.
पर्यावरण पर प्रभाव- फ्यूल बेस्ड गाड़ियां प्रदूषण का एक बड़ा कारण हैं, जिसमें अभी भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है साथ ही एयर पॉल्यूशन और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन जारी है. भविष्य में इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है.