Electric Cars: इलेक्ट्रिक कारों से काफी अलग होती हैं हाइब्रिड कारें, जानिए क्या होता है अंतर
इलेक्ट्रिक व्हीकल पूरी तरह से बैटरी से पॉवर लेकर चलती हैं. इसमें कोई ICE इंजन नहीं होता है. इनकी बैटरी को पॉवर सॉकेट की मदद चार्ज करना पड़ता है.
Hybrid Cars: आजकल देश में बहुत सारी अलग अलग तकनीकों वाली कारें मौजूद हैं, जिसमें इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड इस समय की दो सबसे अधिक चर्चा में रहने वाले वेरिएंट्स हैं. इलेक्ट्रिक कारों को चलाने के लिए पूरी तरह बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि हाइब्रिड कारों में पेट्रोल इंजन के साथ एक छोटे बैटरी पैक का इस्तेमाल किया जाता है जो एक इलेक्ट्रिक मोटर को पॉवर देता है. इससे वाहन को चलाने के लिए कंबाइंड पॉवर मिलती है. इससे कार को कुछ दूरी तक पूरे ईवी मोड पर भी चलाया जा सकता है. चलिए जानते हैं क्या है इन दोनों तरह की कारों में अंतर.
हाइब्रिड कारें
हाइब्रिड कारों में दो तरह की तकनीकों का इस्तेमाल होता है. जिसमें एक पेट्रोल या डीजल इंजन और दूसरा एक इलेक्ट्रिक मोटर होता है. जिसमें दोनों इंजन से कंबाइंड पॉवर मिलती है. इसमें भी दो प्रकार होते हैं, जिसमें माइल्ड हाइब्रिड और स्ट्रांग हाइब्रिड शामिल हैं.
माइल्ड हाइब्रिड- इस तकनीक को सामान्य कारों की तरह ही इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें नॉर्मल ICE इंजन कारों की तरह बस फ्यूल भरवाकर चलाना होता है. इसका फायदा सिर्फ इतना होता है कि इससे कार की माइलेज थोड़ी बढ़ जाती है.
स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड- फुल हाइब्रिड कार को ICE इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर की मदद से स्वतंत्र रूप से चलाया जा सकता है. कम गति में यह यह ईवी मोड में चलती है और तेज स्पीड में यह पेट्रोल इंजन से पॉवर लेती है. यह स्वतः ही पेट्रोल से इलेक्ट्रिक मोटर पर स्विच करती है.
इलेक्ट्रिक व्हीकल की क्या है खासियत?
इलेक्ट्रिक व्हीकल पूरी तरह से बैटरी से पॉवर लेकर चलती हैं. इसमें कोई ICE इंजन नहीं होता है. इनकी बैटरी को पॉवर सॉकेट की मदद चार्ज करना पड़ता है. ये कारें अमेरिका, जापान, भारत और पश्चिमी यूरोप जैसे देशों खूब प्रचलित हैं. हालांकि भारत में भी अब ये कारें काफी लोकप्रिय हो रहीं है. लेकिन भारत में फिलहाल इसके चार्जिंग के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं हैं.