Electric Vehicle Growth Report: भारत में तेजी से बढ़ रहा है ईवी बाजार, 2030 तक होगी हर साल 17 मिलियन यूनिट्स से ज्यादा बिक्री
सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए FAME II प्रोत्साहन योजना लागू किया गया था. 2024 तक के लिए विस्तार कर दिया गया है. जिससे करीब 1.8 मिलियन से अधिक ग्राहकों को फायदा मिलेगा.
Electric Vehicles Sales Increasing: इंडिया एनर्जी स्टोरेज एलायंस (IESA) ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि वर्ष 2021-2030 के बीच भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार 49% की वार्षिक वृद्धि दर से विस्तार कर सकता है और बिक्री के मामले में यह संख्या साल 2030 तक 17 मिलियन सलाना के पार जा सकती है.
ये है बिक्री में बढ़त का कारण
केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से निरंतर सब्सिडी समर्थन, नई कम्पनियों का इस सेगमेंट में प्रवेश, ईवी प्रौद्योगिकी में विकास, ईंधन की बढ़ती हुई कीमतें और कार्बन उत्सर्जन मानकों में कड़ाई जैसे आधारों से प्रेरित होकर बिक्री में इस वृद्धि के अनुमान का लगाया गया हैं.
टू व्हीलर्स की होती है सबसे ज्यादा बिक्री
साल 2020 की महामारी के बाद घरेलू बाजार में आई मंदी से ईवी उद्योग ही सबसे तेजी से उबरा है. रिपोर्ट के अनुसार इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट, घरेलू बाजार में कुल 4.67 लाख से अधिक ईवी बिक्री का करीब आधा है. इसके बाद सबसे ज्यादा बिकने के मामले में लो-स्पीड ई-थ्री-व्हीलर्स का नंबर आता है. इसके साथ ही अन्य सेगमेंट में भी बिक्री में बढ़ोत्तरी देखी गई है.
क्या कहती है IESA की रिपोर्ट?
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय ईवी बाजार में 2021 और 2030 के बीच करीब 49 प्रतिशत के CAGR से विस्तार देखने को मिलेगा. तब तक ईवी की बिक्री लगभग 17 मिलियन यूनिट की वार्षिक बिक्री तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की हिस्सेदारी करीब 1.5 करोड़ यूनिट्स रहने का अनुमान है. आंकलन के मुताबिक 2021 से 2030 के बीच, बैटरी की वार्षिक मांग करीब 41 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़कर 142 GWh तक पहुंचने का अंदाजा लगाया जा रहा है.
इन कारणों से बढ़ेगी बिक्री
फिलहाल 2021 तक ईवी बैट्री की मांग 6.5 GWh है और रिपोर्ट के अनुसार इसके साल 2024–25 के बाद से तेजी से बढ़ने की संभावना है. क्योंकि तब तक इन वाहनों की प्रारंभिक लागत पारंपरिक ईंधन से चलने वाले इंजन-संचालित कारों के लगभग बराबर होने की उम्मीद है. बैटरी की गिरती कीमतों, ईवी प्रौद्योगिकी में प्रगति, घरेलू उत्पादन में वृद्धि इन वाहनों की कीमतों में कमी का मुख्य कारण है.
इन बैटरियों का होता है इस्तेमाल
रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार में ई-रिक्शा की भारी डिमांड के कारण लेड-एसिड बैटरी की मांग 2021 में भारतीय ईवी इकोलॉजी का करीब 81% हिस्सा थी. लिथियम-आयन बैटरी की भी बाजार हिस्सेदारी में लगातार तेजी देखने को मिल रही है और साल 2021 में पहली बार इन बैटरियों की डिमांड 1 GWh की सीमा से अधिक दर्ज की गई है. इसके अलावा लिथियम-आयन बैट्री में, लिथियम आयरन फॉस्फेट (LFP) को थ्री और फोर-व्हीलर्स के लिए एक बेहतर विकल्प माना गया है. जबकि निकल मैंगनीज कोबाल्ट (NMC) बैटरीज को इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स और ई-बसों में इस्तेमाल किया जाता है.
यह भी मिलते हैं फायदे
IESA की रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए FAME II प्रोत्साहन योजना लागू किया गया था. इस योजना को अब साल 2024 तक के लिए विस्तार कर दिया गया है. जिससे करीब 1.8 मिलियन से अधिक ग्राहकों को फायदा मिलेगा.
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