Electric Vehicles: इकनोमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (SMEV) के अनुसार, सात इलेक्ट्रिक टू व्हीलर कंपनियों ने पिछले साल की बकाया सब्सिडी का भुगतान न होने और मार्केट में नुकसान के कारण 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ा. सरकार इन कंपनियों को ली गई सब्सिडी वापस करने का भी निर्देश दे चुकी है.
एसएमईवी के चार्टर्ड अकाउंटेंट के ऑडिट के बाद सामने आयी जानकारी के मुताबिक, कंपनियों का कुल नुकसान 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो सकता है. इस सरसरी ऑडिट में अनुमान लगाया गया है कि, जब से भारी उद्योग मंत्रालय ने (2022 से अपनी) सब्सिडी बंद कर दी है, तब से बकाया भुगतान, ब्याज, ऋण, मार्केट शेयर में नुकसान, रेपुटेशन में हानि, पूंजी की लागत और संभावित पुनर्पूंजीकरण के कारण होने वाला नुकसान लगभग 9,075 करोड़ रुपये है. जिसके चलते कुछ रिकवर होने की हालत में नहीं हैं और कुछ की वापसी कभी नहीं होगी.
जल्द से जल्द इसके समाधान की जरुरत पर बात करते हुए कहा गया कि, यह आश्चर्यजनक है, जहां इंडस्ट्री भारतीय ईवी सेक्टर में 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर लगाने के बारे में संभावित निवेशकों के साथ बातचीत कर रही है. वहां पहले से ही घाटा भी लगभग उतना ही बड़ा है.
भारत सरकार में केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडे को लिखे लेटर में कहा गया कि, ओईएम डेली बढ़ रहे घाटे की वजह से टूटने की स्थिति में पहुंच रहे हैं. साथ ही यह भी कहा गया कि अगर मंत्रालय का इरादा इन ओईएम को सजा देने का था, तो ये देरी उन्हें व्यावहारिक रूप से खत्म करने का ही काम कर रही है. जोकि 22 महीने से भी ज्यादा समय से जारी है. जबकि ये एक अपराध है.
"ऐसा लगता है कि OEM एक गंभीर दुविधा में हैं. क्योंकि सब्सिडी के रूप में 18-22 महीनों तक रोके गए रुपए और पुरानी सब्सिडी को वापस लेने के एमएचआई के दावे के अलावा, कंपनियों को नए मॉडल को एनएबी पोर्टल पर अपलोड करने की भी अनुमति नहीं दी गई है. जो उन्हें कॉम्पिटीटिव कीमतों पर कोई भी बिजनेस करने से रोकता है.
एसएमईवी ने मंत्रालय के सामने एक सिंकिंग फंड बनाने का प्रस्ताव रखा है, ताकि बंद होने के कगार पर खड़े ओईएम को सॉफ्ट लोन, अनुदान या ऐसी ही किसी तरह की मदद के जरिये अपने पैरों पर वापस खड़ा होने में मदद मिल सके. जो उन्हें फिर से खड़ाकर सके.
सरकार हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा ऑटोटेक, एम्पीयर ईवी, रिवोल्ट मोटर्स, बेनलिंग इंडिया, एमो मोबिलिटी और लोहिया ऑटो से सब्सिडी रिफंड की मांग कर रही है. भारी उद्योग मंत्रालय की जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि इन कंपनियों ने नियमों का उल्लंघन कर सब्सिडी स्कीम का लाभ लिया है.
जबकि नियमों के अनुसार, इंसेंटिव लेने के लिए 'मेड इन इंडिया' कंपोनेंट्स का यूज कर ईवी उत्पादन किया जाना था, लेकिन जांच में पता चला कि इन सात कंपनियों ने कथित तौर पर इंपोर्टेड पार्ट्स का प्रयोग किया था.
इसकी जांच मंत्रालय ने गुमनाम ई-मेल मिलने के बाद शुरु की थी, जिनमें आरोप लगाया गया था. कि कई ईवी मैनुफैक्चरर नियमों का पालन किए बिना सब्सिडी का दावा कर रहे हैं. जबकि सरकार की स्कीम का मकसद घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है. जिसके बाद मंत्रालय ने पिछले वित्त वर्ष में सब्सिडी डिस्ट्रीब्यूशन में देरी की.
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