ESC Feature: भारत में सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति को देखते हुए, ऑटोमोबाइल कंपनियां अपनी गाड़ियों में एक से बढ़कर एक सेफ्टी फीचर्स की पेशकश कर रहीं है. ताकि इनमें कमी लायी जा सके. इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल (ESC) एक ऐसा ही फीचर है, जो लेटेस्ट गाड़ियों में देखने को मिलता है. ये कब और कैसे गाड़ी में बैठी सवारियों की सुरक्षा करने का काम करता है, आगे हम इसकी जानकारी देने जा रहे हैं.


इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल


ईएससी गाड़ियों में दिया जाने वाला एक सेफ्टी फीचर है, जो किसी विषम परिस्थिति में जब गाड़ी कंट्रोल से बाहर जाने की स्थिति में होती है, तब ड्राइवर की मदद करने का काम करता है. यानि अचानक गाड़ी को मोड़ने या ब्रेक लगाने की स्थिति में ये ऑटोमेटिकली पहियों पर ब्रेक लगाने का काम करता है. जिससे दुर्घटना न होने की संभावना बढ़ जाती है.


ये फीचर कार की स्टीयरिंग से लेकर थ्रॉटल और रोटेशन जैसी चीजों पर भी नजर रखने का काम करता है. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल को (ESC) को इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी प्रोग्राम (ESP), व्हीकल स्टेबिलिटी असिस्ट (VSA), व्हीकल डायनामिक कंट्रोल (VDC) और डायनामिक स्टेबिलिटी कंट्रोल (DSC) जैसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. लेकिन इसका काम एक ही है.


ऐसे काम करता है ईएससी


जब आप गाड़ी चला रहे होते हैं और अचानक मोड़ देते हैं या अचानक ब्रेक लगनी पड़ जाती है. तब ऐसे में ये गाड़ी के अलग-अलग पहियों पर एक सामान ब्रेक न लगाकर, जरुरत के मुताबिक कम ज्यादा ब्रेक लगाकर गाड़ी को फिसलने से बचा लेता है.


जैसे ही आप अपनी गाड़ी को स्टार्ट कर के कहीं के लिए निकलते है. ये फीचर एक्टिव हो जाता है. ये फीचर स्पीड सेंसर के जरिये गाड़ी की स्पीड और स्टीयरिंग की स्थिति पर नजर रखता है. लेकिन जैसे ही गाड़ी किसी वजह से अपना कंट्रोल खोने लगती है. ये फीचर सिचुऐशन को भांप कर खुद गाड़ी को कंट्रोल करना स्टार्ट कर देता है. गाड़ी स्लिप न हो, इसलिए किस पहिये को कितना पावर देना ये भी खुद से ही मैनेज कर लेता है. 


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