Battery Swapping: चार्जिंग की टेंशन से जल्द मिल सकती है मुक्ति, बस बैटरी बदलो और चल पड़ो
EV Charging: इस सुविधा को इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के एक विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. जिससे आने वाले समय में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग में बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है.
EV Battery Swapping: ताइवान की बैटरी-स्वैपिंग सर्विस प्रोवाइडर कंपनी गोगोरो (Gogoro) भारत में अपनी बैटरी स्वैपिंग पायलट सर्विस दिसंबर से शुरू करने जा रही है. इसके लिए कंपनी ने भारत के EV-S-A-सर्विस प्लेटफॉर्म Zypp Electric के साथ मिलकर B2B साझेदारी बढ़ने की घोषणा की है. दोनों कंपनियों का प्लान बैटरी स्वैपिंग (बैटरी की अदला-बदली) की इस योजना को अंतिम छोर तक पहुंचाने में तेजी लाने का है. इसे पायलट सर्विस के तौर पर अगले महीने दिल्ली में चालू किया जायेगा, जिसमें गोगोरो नेटवर्क के गोस्टेशन, स्मार्ट बैटरी और स्कूटर को शामिल किया जायेगा.
वेदर प्रूफ स्टेशन
कंपनी के दावे के अनुसार, इन बैटरी स्वैपिंग स्टेशन को वेदरप्रूफ बनाया गया है. साथ ही इन स्टेशन पर रोजाना 200 से ज्यादा बैटरी स्वैपिंग की सुविधा दी जाएगी. इन स्टेशनों को मॉड्यूलर के तौर पर तैयार किया जायेगा, ताकि इन्हें अलग-अलग जगहों पर फिट किया जा. सके वहीं कंपनी के दावे के अनुसार ये स्टेशन लाइट जाने की स्थिति में भी 64 घंटे तक काम कर सकेंगे. इस तकनीक से कोई भी महज कुछ सेकंड में ही बैटरी स्वैपिंग कर सकेगा.
बैटरी छमता
स्टेशनों में मौजूद ये स्मार्ट बैटरियां एक सॉफ्टवेयर के साथ उपलब्ध होंगी, जो बैटरी की काम करने की प्रोसेस पर भी नजर रखने की छमता से लैस होंगी. साथ ही जरूरत पड़ने पर ऑटोमेटिकली मैनेज भी कर सकेंगीं. इन स्मार्ट बैटरियों की पावर कैपेसिटी 10,000 kg की छमता तक भार उठाने की होगी.
350 मिलियन बैटरी-स्वैप
पायलट प्रोजेक्ट से मिले नतीजों को देखने के बाद, कंपनी भारत में अपने कामकाज को आगे बढ़ने पर विचार करेगी. कंपनी दिल्ली में ताइवान से ज्यादा स्वैपिंग लगाने के उद्देश्य से काम कर रही है. गोगोरो अभी तक ग्लोबल स्तर पर 350 मिलियन से ज्यादा बैटरी स्वैप का काम पूरा कर चुकी है. अब कंपनी इसे काफी आगे तक ले जाने के लिए प्रयासरत है.
सबसे ज्यादा फायदा ई-रिक्शा को
इस सुविधा को इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के एक विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. जिससे आने वाले समय में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग में बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है. फ़िलहाल इस तकनीक का सबसे ज्यादा प्रयोग देश में मौजूद 15 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक रिक्शा में किये जाने की उम्मीद है. देश में कुल ईवी बिक्री की 83 प्रतिशत बिक्री अकेले इलेक्ट्रिक रिक्शा की होती है.