Fastag vs GNSS Toll Tax System: जैसा कि आप सबको अबतक पता चल ही गया होगा कि भारत में टोल वसूली को लेकर एक नया सिस्टम लागू हो चुका है. इस सिस्टम के आने के बाद लोगों के दिमाग में भी नए-नए सवाल आ रहे हैं. GNSS सिस्टम को लेकर सवाल ये हैं कि अब टोल के लिए कैसे पैसे कटेंगे, क्या फास्टैग खत्म होने जा रहा है.
इसके अलावा लोगों का यह भी कहना है कि जिनका घर हाइवे पर है उनके लिए 20 किलोमीटर फ्री टोल वाला सिस्टम कैसे अप्लाई होगा. यहां हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब देने जा रहे हैं.
जल्द प्राइवेट वाहनों के लिए शुरू होगा सिस्टम
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फिलहाल ये सिस्टम कमर्शियल वाहनों के लिए शुरू हुआ है, जोकि जल्द ही प्राइवेट वाहनों के लिए भी शुरू किया जा सकता है. GNSS सिस्टम को अभी कमर्शियल वाहनों के लिए टेस्ट किया जा रहा है.
जिन लोगों के मन में ये सवाल है कि मेरा घर हाईवे पर है तो टोल टैक्स का क्या सिस्टम होगा तो ऐसे लोगों के लिए 20 किलोमीटर का सफर फ्री रहेगा. जैसे ही आप 20 किलोमीटर तय कर लेंगे तो आपका टोल देना शुरू हो जाएगा.
इसके साथ ही 20 किलोमीटर का सफर आपके टोल गेट के पॉइंट से काउंट किया जाएगा जोकि अगले 20 किलोमीटर की रनिंग के लिए होगा. ये 20 किलोमीटर की समय-सीमा 24 घंटे तक रहेगी.
क्या है ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम?
GNSS एक सैटेलाइट आधारित यूनिट होगी, जो कि गाड़ियों में इंस्टॉल की जाएगी. सिस्टम की मदद से अधिकारी आसानी से ट्रैक कर पाएंगे कि कार ने कब टोल हाईवे का इस्तेमाल करना शुरू किया. जैसे ही वाहन टोल रोड से निकलेगा, तो सिस्टम टोल रोड के इस्तेमाल को कैलकुलेट करेगा और राशि काट लेगा.
जीएनएसएस सिस्टम की सबसे खास बात यह है कि इसकी मदद से यात्री सिर्फ उतना ही पैसा देंगे, जितनी उन्होंने यात्रा की है. इसकी मदद से यात्री टोल यह भी पता लगा पाएंगे कि कितनी राशि देनी है और इस हिसाब से वो भुगतान कर पाएंगे.
सिस्टम का फायदा यह भी होगा कि आपकी गाड़ी की रियल टाइम लोकेशन पता चलने के साथ ही आपको टोल टैक्स बूथ पर लगने वाले जाम से राहत मिलेगी. ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) में आपको उतना ही टोल टैक्स देना होगा, जितनी आपकी गाड़ी नेशनल हाईवे या एक्सप्रेसवे पर दौड़ेगी.
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