Ford Bronco SUV Review: कैसी है फोर्ड ब्रोंको ... इसे भारत आना चाहिए या नही? पढ़ें रिव्यू
फोर्ड ब्रोंको, घरेलू बाजार में मौजूद जीप रैंगलर और लैंड रोवर डिफेंडर जैसी गाड़ियों को टक्कर देने वाली एसयूवी है.
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Ford Bronco India SUV Review: फोर्ड को भारत छोड़े हुए दो साल हो गए हैं और फिर भी इसके उत्पाद अभी भी खरीदारों के बीच पॉपुलर हैं. खासकर एंडेवर और इकोस्पोर्ट के चाहने वालों की संख्या काफी ज्यादा है. जैसा कि बताया जा चुका है, फोर्ड इंडिया की निकट भविष्य में वापस नहीं होगी. लेकिन एक बार भारत में इसके कुछ इंपोर्ट प्रोडक्ट लाने की योजना थी, जो इसके सबसे अच्छे प्रोडक्ट में से एक हो सकता था.
जी हा, फोर्ड ब्रोंको से मिलिए - जीप रैंगलर और लैंड रोवर डिफेंडर जैसी गाड़ियों से मुकाबला करने वाली, एक जबरदस्त एसयूवी भारत में उपलब्ध नहीं होने के बावजूद, हम एक को ढूंढने और उसे घुमाने में कामयाब रहे. हालांकि फोर्ड ब्रोंको भारत में कैसे पहुंची, इसकी पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है. ज्यादातर मालिक कार्नेट द्वारा कुछ समय के लिए इम्पोर्टेड कारें लाते हैं. लेकिन कनाडा के जसमीत सिंह साहनी ने ब्रोंको को भारत लाने के लिए इसे 19,000 किमी चलाया. हालांकि यहां रुकने का उनका कोई प्लान नहीं है. इस प्रक्रिया में केवल एक सर्विस के साथ कार ने 40 देशों को कवर किया.
अब जब आप यह जान गए हैं, कि ब्रोंको भारत में कैसे आई. तो आइए इस कार के बारे में भी बात करते हैं, ब्रोंको एक विशाल जानवर है और सभी ऑफ-रोडर्स की तरह बॉक्सी है. लेकिन यह नया वेरिएंट क्लासिक ब्रोंको पर बेस्ड है, जो 60 के दशक में काफी ज्यादा पॉपुलर एसयूवी थी. लाइफस्टाइल ऑफ-रोडर्स की नई मांग को पूरा करने के लिए फोर्ड इसे एक नए अवतार में वापस लाई है. ये किसी मकसद से तैयार की गयी ऑफ-रोडर है, लेकिन गोल हेडलैंप और झंझट से मुक्त डिज़ाइन इसकी ओर आकर्षित करने का काम करती है. 37 इंच के बड़े टायर और शानदार ग्राउंड क्लीयरेंस का मतलब है, कि आप किसी भी चीज़ के ऊपर से निकल सकते हैं या इसे कहीं भी ले जा सकते हैं. चारों तरफ देखेंगे, तो कहीं भी फोर्ड का लोगो नहीं दिखेगा. जबकि यह अपने प्लेटफॉर्म को रग्ड रेंजर पिक-अप के साथ शेयर करती है.
अंदर बैठते ही, यह आश्चर्यजनक रूप से प्रैक्टिकल दिखती है. क्योंकि चारों तरफ हार्ड प्लास्टिक मौजूद है. लेकिन आप समझ सकते हैं, कि ड्यूराबिलिटी मायने रखती है. वाटर रेसिस्टेंट होने के साथ साथ इसके कंट्रोल बटन बड़े हैं, जिससे इसे चलते-फिरते हुए इन्हें यूज करना काफी आसान हो जाता है. इस सब के साथ इसमें टच बटन देखने को नहीं मिलते, इसमें एक बड़ी SYNC स्क्रीन और सभी फीचर्स हैं. जबकि नीचे 'GOAT' डायल है, जो अब तक का सबसे अच्छा तो नहीं, लेकिन किसी भी तरह के इलाके में काम करता है. आप रैंगलर की तरह छत और दरवाज़ों को भी हटा सकते हैं.
समय कम होने के कारण, मैंने 2.7-लीटर इकोबूस्ट वी6 इंजन तुरंत चालू कर दिया. यह 310 बीएचपी वाली एक दमदार एसयूवी है और यह आश्चर्यजनक रूप से शानदार चलती है. इंडिपेंडेंट फ्रंट सस्पेंशन का मतलब है, कि यह उछाल नहीं मारती और हल्की स्टीयरिंग भी एंडेवर की तरह है. एक बार चौड़ाई समझ में आ जाये, तो आप ट्रैफिक में आसानी से चला सकते हैं. जबकि बाएं हाथ से चलाने की आदत डालना ही इकलौती परेशानी है. एक 10-स्पीड ऑटोमैटिक स्टैंडर्ड है और जरुरत पड़ने पर 2H या 4H भी मौजूद है. साथ ही 4x4 सिस्टम भी मौजूद है. हमने कोई ऑफ-रोडिंग नहीं की, लेकिन कुछ चट्टानों पर चढ़ना और आम तौर पर टूटी सड़कों पर चलना यह दिखता है. कि ब्रोंको कितनी आसानी से उबड़-खाबड़ चीज़ों से निपटने में सक्षम है.
यह एक बड़े ऑफ-रोडर की तरह चलती है, लेकिन डेली यूज के लिए इसमें ज्यादा समझौता नहीं किया गया है. वहीं यूज करने में आसान होने के कारण, यह लैंड रोवर डिफेंडर के काफी करीब है. फिर भी लगभग हर चीज का सामना करने के लिए ये एक जानवर की तरह हमेशा तैयार है. इसमें चौकाने वाली कोई बात नहीं कि, ब्रोंको अपने घरेलू बाज़ार यानि विदेश में काफी पॉपुलर है और हम चाहते हैं, कि हमारे पास भी ऐसी कारें हों.
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, भारत में ब्रोंको चलाना मजेदार था और हमें उम्मीद है, कि फोर्ड कम से कम अपनी कुछ ग्लोबल रेंज को CBU के रूप में हमारे बाजार में लाएगी.
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