GPS Toll Collection System: जल्द खत्म होने जा रहा है टोल प्लाजा पर रुककर 'टोल' देने का झंझट, चलते चलते आपकी जेब से कट जायेंगे पैसे!
2018-19 टोल प्लाजा पर लगने वाला समय 8 मिनट्स तक था, जो 2020-21-22 से शुरू हुए फास्टैग टोल कलेक्शन टेक्नोलॉजी के चलते घटकर 47 सेकण्ड्स पर पहुंच गया.
Toll Plaza: हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने, मार्च 2024 से मौजूदा टोल प्लाजा पर नई टेक्नोलॉजी के जरिये टोल कलेक्शन की पुष्टि की है. जोकि जीपीएस बेस्ड होगी. इस पर तेजी से काम जारी है, ताकि तय समय से इसे शुरू किया जा सके.
पायलट प्रोजेक्ट की हो चुकी है शुरुआत
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आगे जानकरी देते हुए बताया कि, गाड़ियों के रुके बिना ही टोल लेने वाली इस टेक्नोलॉजी के दो पायलट प्रोजेक्ट को शुरू कर दिया गया है, जिसमें ऑटोमॅटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन सिस्टम (ANPR कैमरों) का यूज किया गया है,
जितना सफर उतना टोल
जीपीएस बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम का मतलबस टोल प्लाजा पर होने वाली भीड़ से निजात पाने के साथ साथस गाड़ियों से उनके दवारा सड़क पर तय की गयी दूरी के हिसाब से टोल वसूलना है,
8 मिनट्स से 47 सेकंड हुआ वेटिंग पीरियड
मौजूदा फास्टैग बेस्ड टोल कलेक्शन के चलते टोल प्लाजा पर लगने वाले समय में काफी कमी देखने को मिली है. 2018-19 टोल प्लाजा पर लगने वाला समय 8 मिनट्स तक था, जो 2020-21-22 से शुरू हुए फास्टैग टोल कलेक्शन टेक्नोलॉजी के चलते घटकर 47 सेकण्ड्स पर पहुंच गया.
ऐसे काम करेगा ये सिस्टम
जीपीएस टेक्नोलॉजी से लैस गाड़ियों की सड़क पर वास्तविक स्थिति का आराम से पता लगाया जा सकता है, जो नई गाड़ियों में पहले से ही मौजूद है. जबकि पुरानी गाड़ियों में इसे लगवाने की जरुरत पड़ सकती है. हालांकि अगर ANPR कैमरों का यूज होता है, तो जीपीएस लगवाने की जरुरत नहीं पड़ेगी.
सिस्टम पता लगा लेगा आपने कितनी दूरी तय की?
जीपीएस टेक्नोलॉजी के चलते सिस्टम इस बात का पता लगाने में सक्षम होगा कि, आपने इस सिस्टम से लैस सड़क पर कितनी दूरी तय की और उसी के आधार पर टोल भी वसूल लेगा. जिसके लिए रुकने की जरुरत नहीं पड़ेगी.
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