Hyundai Chennai Plant: आपके मन में गाड़ियों को देखकर कभी-न-कभी ये ख्याल जरूर आया होगा कि आखिर ये कार कैसे बनती है? हम केवल कार की लॉन्चिंग देखते हैं और उसे शोरूम में खड़ा पाते हैं. लेकिन कार का बनना एक कॉम्प्लेक्स प्रोसेस है, जिसे इंसान की मेहनत और मशीनों के जरिए बनाया जाता है.


कोई कार कैसे बनती है और कैसे आकार लेती है, इसके बारे में एबीपी न्यूज ने जानकारी हुंडई मोटर इंडिया के चेन्नई प्लांट में जाकर ली. हमने नई अल्काजार के बनने के पूरे प्रोसेस को देखा. साथ ही प्रोडक्शन, सप्लाई चेन और क्वालिटी मैनेजमेंट पर नजर रखने वाले चीफ मैन्युफैक्चरिंग ऑफिसर गोपाल कृष्णन से भी बातचीत की.



Hyundai का चेन्नई प्लांट


हुंडई मोटर इंडिया का तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में स्थित प्लांट काफी बड़ा है और 540 एकड़ में फैला हुआ है. हुंडई के इस प्लांट में नई अल्कजार, क्रेटा, क्रेटा एन लाइन, वेन्यू, वेन्यू एन लाइन, एक्सटर, i20 और वर्ना सहित कई गाड़ियों को बनाया जाता है. हुंडई के इस प्लांट में एक साल में करीब 8,24,000 यूनिट्स बनाकर तैयार की जाती हैं.


हमने इस प्लांट में ये भी देखा कि एक कार बननी शुरू कैसे होती है. आज के समय में मौजूद कारों में से किसी एक कार को बनाने में कुल 4 से 4.5 घंटे का समय लगता है और आने वाले समय में ये टाइम और भी कम हो सकता है.



कैसे बनकर तैयार होती है कार?


हुंडई के इस प्लांट में 300 से ज्यादा रोबोट हैं और ऑटोमेटिक मैन्युफैक्चरिंग ने कारों के बनने की प्रोसेस को आसान कर दिया है. कार बनने की शुरुआत स्टील शॉप से होती है, जहां स्टील कॉइल को अलग-अलग आकार में काटा जाता है. इसके बाद ये टुकड़े T2 प्रेस स्टेशन जाते हैं और इसके बाद इन्हें पैनल इंसेप्शन स्टेशन भेजा जाता है.


इसके बाद हम बॉडीशॉप गए, जहां अल्कजार की साइड एसेंबली को बनाया जा रहा था. इसके बाद हम पैनोरमिक सनरूफ स्टेशन पहुंचे, जहां 7 रोबोट इस कार पर काम कर रहे थे. यहां कार के डोर, फेंडर और टेलगेट पर वेल्डिंग की जा रही थी. फाइनल एसेंबली के लिए कार को पेंट शॉप भेजा जाता है.



फाइनल एसेंबली में ही कार में 6 एयरबैग्स के साथ ही डैशबोर्ड को भी फिट किया जाता है. वहीं ADAS कैलिब्रेशन जोन भी है, जहां लेवल 2 ADAS को जोड़ा जाता है. सभी लाइन के लिए एक एक्सक्लूसिव क्वालिटी गेटकीपर तैनात है, जो कार की पूरी तरह से जांच करता है. इसमें गाड़ी के बनने के बाद उसकी रोड टेस्टिंग भी की जाती है.


Robot बनाते हैं Hyundai की कारें


चीफ मैन्युफैक्चरिंग ऑफिसर गोपाल कृष्णन ने बात करते हुए बताया कि हमारा फोकस कॉस्ट कटिंग, एफिशियंसी और प्रोसेस को बेहतर बनाने के साथ ही क्वालिटी लेवल बढ़ाने की तरफ भी रहता है. आज के डिजिटल युग में, मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस में भी इन तकनीकों का लाभ उठाया जा सकता है. साल 1998 में जब हुंडई की शुरुआत हुई थी, बॉडीशेप में ऑटोमेशन केवल 20 फीसदी था, लेकिन अब ये 100 फीसदी हो गया है.



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