HEV Technologies: पिछले कुछ सालों से भारत में इलेक्ट्रिक वाहन तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. हाल ही में लॉन्च किए गए कई यूजर्स के इस्तेमाल किए जा सकने वाले दोपहिया और चार पहिया वाहनों के अलावा, हमने मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में सिटी बसों जैसे कई सार्वजनिक परिवहन वाहनों को बिजली से चलते देखा है. हालाँकि, जब देश विद्युत क्रांति की ओर बढ़ रहा है तब भी ऐसे कई कारण हैं जो ग्राहकों को इलेक्ट्रिक वाहनों में शिफ्ट करने से रोकते हैं. इनमें से एक कारण इनके चार्जिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, जो EV यूजर्स के लिए लंबी यात्रा में बाधक है. इन कारणों से निपटने के लिए, कंपनियां अब हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों (HEVs) को बाजार में ला रही हैं. ये ऐसी कारें हैं जो पेट्रोल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों के फायदों को एक ही कार में देती हैं, यह तकनीक दोनों ही तरह के वाहनों की कमियों को पूरा कर सकती हैं. आज हम आपको बताने वाले हैं कि ये हाइब्रिड इंजन कैसे काम करते हैं और ये पारंपरिक इलेक्ट्रिक वाहनों से कैसे अलग होते हैं.  


क्या हैं हाइब्रिड व्हीकल्स?


हाइब्रिड वाहनों या एचईवी को समझने के लिए यह जानिए कि पेट्रोल से चलने वाले वाहन चलने के लिए पेट्रोल का दहन का करते हैं, जिससे कार के इंजन में ईंधन के नियंत्रित स्थिति जलने से गर्मी और गति दोनों के रूप में ऊर्जा निकलती है, जिसे बाद में पिस्टन, शाफ्ट, गियर और एक्सल के एक कंबाइंड सिस्टम से पहियों को चलाया जाता है.  


वहीं एक इलेक्ट्रिक कार में न तो इंजन होता है और न ही गियर. इसमें पॉवर के लिए एक रिचार्जेबल बैटरी होती है, और वाहन इलेक्ट्रिक मोटर की मदद से चलता है. इसमें पूरा काम  इलेक्ट्रिक एनर्जी पर होता है. जिसके कारण इनकी सर्विसिंग की भी कम ज़रूरत होती है. हालाँकि, बैटरी समय के साथ साथ चार्ज को स्टोर करने की क्षमता को धीरे-धीरे खोती रहती है. भारत में इस समय मौजूद अधिकांश इलेक्ट्रिक वाहनों की रेंज काफी सीमित है.


हाइब्रिड वाहनों में, कई प्रकार के सिस्टम होते हैं, जिनसे कार को पॉवर मिलती है. इनमें दो प्रमुख टाइप होते हैं कॉमन सीरीज हाइब्रिड और पैरलल हाइब्रिड.


सीरीज हाइब्रिड कारें


जैसा कि नाम से पता चलता है, ये कारें एक इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग करती हैं, जो सीरीज में एक पेट्रोल इंजन से जुड़ी होती हैं. इस सिस्टम में, इलेक्ट्रिक मोटर के अलावा, पेट्रोल इंजन का वाहन के व्हील्स से कोई संपर्क नहीं होता है. इसमें एक जनरेटर पेट्रोल इंजन से ऊर्जा को सीधे बिजली में बदल देता है, जिससे इलेक्ट्रिक मोटर को पॉवर मिलती है. सीरीज हाइब्रिड वाहन एक इलेक्ट्रिक मोटर पर निर्भर होते हैं, और इन्हें इलेक्ट्रिक कारों की तरह बाहर  से चार्ज नहीं किया जा सकता है. इनके लिए पेट्रोल जरूरी होता है. ये वाहन भारत जैसे क्षेत्र, जहां चार्जिंग के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं हैं, के लिए उपयुक्त हैं.  


पैरलल हाइब्रिड कारें


पैरलल हाइब्रिड कारों में एक सामान्य ट्रांसमिशन होता है जो इलेक्ट्रिक मोटर और ईंधन इंजन दोनों से बिजली ले सकता है, दोनों पैरलल में जुड़े होते हैं. ऐसी कारें पूरी तरह से ऑटोमैटिक, मैनुअल और सीवीटी (कंटीन्यूअस वेरिएबल ट्रांसमिशन) से भी लैस हो सकती हैं. इस सिस्टम में, इलेक्ट्रिक मोटर को केवल रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से ही रिचार्ज किया जा सकता है, और आप कार में जो फ्यूल डालते हैं वह इंजन को पॉवर देगा. इसमें मोटर और इंजन दोनों पहियों को पॉवर दे सकते हैं. यूजर्स के पास इसका कंट्रोल होता है कि उन्हें जब जैसी जरूरत हो तो वे आराम से मोड बदल सकते हैं. ड्राइविंग कंडीशन के आधार पर व्हील पावर इंजन और मोटर के बीच स्विच करता रहता है. टोयोटा, हुंडई, फोर्ड, होंडा, आदि जैसी कई कम्पनियां ऐसी कारें बनाती हैं. जो बहुत लोकप्रिय हैं. 


सीरीज पैरेलल हाइब्रिड कारें


एक ही वाहन में सीरीज और पैरेलल हाइब्रिड आर्किटेक्चर दोनों के साथ आने वाली कारें भी मौजूद हैं. टोयोटा प्रियस जैसी कार में ऐसा सिस्टम मिलता है. इसमें यूजर या तो पूरी तरह इलेक्ट्रिक या पूरी तरह फ्यूल पर भी गाड़ी को चला सकते हैं. 


भारत में कौन सी हाइब्रिड कारें उपलब्ध हैं?


भारत में चुनने के लिए बहुत सारे हाइब्रिड वाहन नहीं हैं, टोयोटा, सुजुकी, एमजी और होंडा जैसे निर्माता टोयोटा अर्बन क्रूजर हाइराइडर और होंडा सिटी ईएचईवी जैसी कारों के साथ इस सेगमेंट आते हैं. वहीं लेक्सस और पोर्श जैसे अधिक महंगे विकल्प भी मौजूद हैं.


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