Hybrid Car System: बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में लगातार नई-नई तकनीकों को विकसित किया जा रहा है, इनमें सीएनजी, हाइड्रोजन ईंधन, इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड जैसी तकनीकें प्रसिद्ध हैं. अधिक प्रदूषण के कारण कई कंपनियां डीजल कारें बनाना बंद कर चुकी हैं. इस समय कई नई एडवांस कारों में रेगुलर पेट्रोल इंजन के साथ एक हाइब्रिड सिस्टम भी मिलने लगा है. इससे कार का माइलेज काफी बढ़ जाता है और इनमें चार्जिंग की भी जरूरत नहीं पड़ती है. आज हम आपको बताने वाले हैं कि एक पेट्रोल इंजन और हाइब्रिड इंजन में क्या अंतर होता है और इसका काम क्या होता है. तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
कैसे काम करता है पेट्रोल इंजन
एक पेट्रोल इंजन, मुख्य रूप से इंटरनल कंब्शन तकनीक पर काम करता है. इसमें इंजन के कंब्शन चेंबर में पेट्रोल जलता है और उससे निकली ऊर्जा से पहियों को पावर मिलता है और जले हुए पेट्रोल का धुआं एक्जॉस्ट पाइप के माध्यम से बाहर निकल जाता है. फिलहाल देश में मौजूद अधिकतर कारें इसी तकनीक पर काम करती हैं.
कैसे काम करता है हाइब्रिड इंजन
एक हाइब्रिड वाहन को एक रेगुलर ICE पेट्रोल इंजन और एक इलेक्ट्रिक पॉवरट्रेन के कॉम्बिनेशन से तैयार किया जाता है. यह पेट्रोल और इलेक्ट्रिक का मिला जुला रूप होता है. देश में बिकने वाली हाइब्रिड कारों को आमतौर पर पेट्रोल से चलाया जाता है लेकिन रफ्तार कम होने पर यह स्वतः ही एक इलेक्ट्रिक कार के रूप में काम करने लगता है.
क्या होता है फायदा?
हाईब्रिड कारों को तेज स्पीड में चलाने पर पेट्रोल का इस्तेमाल करके बढ़िया परफॉर्मेंस देती हैं, जबकि कम स्पीड पर यह इंजन पेट्रोल के बजाय बैट्री के पॉवर पर चलता है. यह बैट्री रीजेनरेटिव ब्रेकिंग बैटरी तकनीक से अपने आप ही चार्ज होती रहती है और इन्हें अलग से चार्ज करने को कोई जरूरत नहीं पड़ती है. इन्हें प्लग-इन-हाइब्रिड कार कहा जाता है. हालांकि इसे EV मोड पर बहुत अधिक दूरी तक नहीं चलाया जा सकता है.
ये हाइब्रिड कारें हैं मौजूद
भारत में कुछ प्रमुख हाइब्रिड वाहनों में होंडा सिटी हाइब्रिड और टोयोटा कैमरी हाइब्रिड और हालिया लॉन्च मारुति सुजुकी ग्रैंड विटारा स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड, टोयोटा अर्बन क्रूजर हाइराइडर हाइब्रिड शामिल हैं.
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