किसी भी वाहन की बढ़िया परफॉरमेंस के लिए उसके इंजन का अच्छा होना बहुत अहम है. जैसे-जैसे गाड़ी की उम्र बढ़ने लगती है तो उसके इंजन की केयर उतनी ही बढ़ जाती है. इसमें सबसे अहम होता है इंजन में डलने वाला ऑयल जिसे लुब्रिकेंट भी कहते है. यह एक ऐसा पदार्थ है जो धातुओं के चलने पर उनके बीच बनने वाली रगड़ यानी घर्षण को कम करता है. इसलिए समय-समय पर चेक करते रहें कि ऑयल काला तो नहीं पड़ गया है. अगर ऐसा हो तो उसे नजरअंदाज बिल्कुल भी न करें. ऑयल काला पड़ने पर इंजन सीज तक हो सकता है. ऑयल चेंज करना इतना आसान है कि इसके लिए आपको मैकेनिक के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी आप घर पर भी खुद ऑयल चेंज कर सकते हैं.


काला क्यों पड़ता है इंजन ऑयल?
वैसे तो जब भी गाड़ी की सर्विस होती है तब नया इंजन ऑयल डाल दिया जाता है. लेकिन कई बार अगली सर्विस से पहले ही इंजन ऑयल या तो कम होने लगता है या फिर काला पड़ने लगता है. दरसरल ऐसा जब हम ज्यादा क्लच का इस्तेमाल करते हैं तो होता है. इसके अलावा गंदगी और कार्बन को साफ करने के कारण ऑयल काला पड़ जाता है. इसलिए इंजन की उम्र बढ़ाने के लिए समय पर इंजन ऑयल चेंज करवा देना जरूरी होता है.


टॉप-अप कराना बेहतर ऑप्शन
ज्यादा गाड़ी चलने से समय के साथ ऑयल जलता रहता है जिसकी वजह से उसकी मात्रा भी कम होने लगती है. लेकिन कई बार कम होने पर भी ऑयल में चिकनापन बरकरार रहता है, ऐसे में ऑयल टॉप-अप कराने से मौजूदा ऑयल पर अधिक दबाव पड़ता है, आजकल जितने भी नए इंजन आ रहे हैं उनमे ऑयल टॉप-अप न कराने को कहा जाता है.


कब बदलें ऑयल?
वैसे तो इंजन ऑयल को हर 5000 से 6000 किलोमीटर के बाद बदल देना चाहिए, जबकि हर 3000 किलोमीटर पर इसका टॉपअप भी किया जाना चाहिए. लेकिन अगर आप रोजाना हैवी ट्रैफिक में गाड़ी चलाते हैं तो आपको हर 1500 किलोमीटर में एक बार इंजन ऑयल को चेक कर लेना चाहिए.


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