अगर आप इस साल अपने मोटर बीमा का रिन्यू कराने वालों में से हैं, तो आप इसके लिए अप्लाई करने से पहले आपको पॉल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिकेट (पीयूसी) हासिल करना होगा. अगर आपके पास पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट नहीं है तो बीमा कंपनियां आपके वाहन इंश्योरेंस पॉलिसी को री-न्यू करने से इनकार कर सकती हैं. इंश्योरेंस रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी (IRDAI) ने बीमा कंपनियों से कहा है के वे प्रदूषण कंट्रोल के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करें.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वाहन मालिकों की ओर से पीयूसी सर्टिफिकेट दिए जाने के बाद ही पॉलिसी को री-न्‍यू किए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में इस नियम का ज्यादा सख्ती से पालन कराने को कहा है. क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण की मार ज्यादा है.


यह आपके के लिए क्या मायने रखता है?
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, बीमा कंपनियां यह सुनिश्चित करेंगी कि आप अपनी व्यक्तिगत बीमा पॉलिसी के रिन्यू के समय वैलिड पीयूसी पेश करें. 20 अगस्‍त को जारी इरडा के सर्कुलर में कहा गया है कि सेंट्रल पॉल्‍यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली और एनसीआर में सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के पालन की स्थिति के बारे में चिंता जताई है. लिहाजा इस निर्देश का कड़ाई से पालन करना सुनिश्चित किया जाए. जुलाई 2018 में बढ़ते वाहन प्रदूषण पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि जब तक पीयूसी सर्टिफिकेट न जमा किए जाएं तब तक वाहन इंश्योरेंस पॉलिसी री-न्यू न किए जाएं.


क्या है PUC?
पीयूसी सर्टिफिकेट वाहन मालिक को तब मिलता है जब गाड़ी प्रदूषण कंट्रोल मानकों पर खरा उतरता है. इस सर्टिफिकेट की मदद से पता चलता है कि वाहन का प्रदूषण नियमों के अनुसार है. इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं है. सभी वाहनों को मान्‍य पीयूसी सर्टिफिकेट हासिल करना जरूरी है. नई गाड़ी के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं होती है. वाहन के रजिस्‍ट्रेशन के एक साल के बाद पीयूसी सर्टिफिकेट लेने की जरूरत पड़ती है. इसे समय-समय पर री-न्‍यू कराना पड़ता है.


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