(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Semiconductor Plant in India: एक साल के अंदर भारत को मिल सकता है पहला सेमीकंडक्टर प्लांट, बाकी कंपोनेंट्स पर भी सरकार का ध्यान- अश्विनी वैष्णव
सरकार सेमीकंडक्टर्स के साथ 4-5 कंपोनेंट्स बनाने पर काम कर रही है. जहां भारत घरेलू जरूरतों को पूरा करने के साथ साथ ही दुनिया के अलग अलग देशों में एक्सपोर्ट करने के लिए एक ग्लोबल हब भी बन सकता है.
Semiconductor Manufacturing Plant in India: केंद्रीय दूरसंचार और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक, देश को जल्द ही पहली इलेक्ट्रॉनिक चिप मैन्युफैक्चरिंग यूनिट मिल सकती है. जोकि एक साल के भीतर स्थापित हो सकती है. शुरुआत में सरकार ने इसके लिए शुरुआत में 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का इंसेंटिव तय किया है, जिससे देश में वेफर फैब्रिकेशन प्लांट के साथ, सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी. जिसका यूज सभी हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट में किया जाता है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर के मुताबिक, अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि, हम कुछ खास क्षत्रों पर फोकस कर रहे हैं, जिसमें हमारी क्षमता विश्व को नेतृत्व करने की है. भारत में टेलीकॉम और ईवी सेक्टर में सेमीकंडक्टर्स के लिए एक बड़ा बाजार बनकर उभरा है. इसलिए अगर हम इन क्षेत्रों में यूज की जाने वाले चिप्स के विकास और मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हम इन सेक्टर में ग्लोबल लीडर बन सकते हैं. जिन पर काम जारी है.
वैष्णव के मुताबिक, आने वाले कुछ महीनों में हमें अच्छी सफलता मिलने की उम्मीद है, जोकि फैब (वेफर फैब्रिकेशन), डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग, कम्पलीट (इकोसिस्टम) होगा.
जब उनसे ये सवाल किया गया कि क्या इसे शुरु होने में एक साल तक का वक्त लग सकता है, तो उन्होंने कहा नहीं, हमें जल्द ही सफलता मिलेगी. आगे उन्होंने बताया कि, अमेरिका बेस्ड स्टोरेज चिप मैन्युफैक्चरर माइक्रोन के भारत में इन्वेस्ट करने के चलते, पूरी दुनिया भारत की क्षमता को लेकर काफी आशान्वित है.
मेमोरी चिप बनाने वाली माइक्रोन ने पिछले महीने ही गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर असेंबली प्लांट का बनाना शुरू किया है. वहीं कंपनी ने जून में गुजरात में सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट प्लांट लगाने की भी घोषणा की है, जिसमें कुल इन्वेस्टमेंट 2.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर (यानि लगभग 22,540 करोड़ रुपयेके आसपास) का होगा.
माइक्रोन प्लांट लगाने के लिए 825 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक का इन्वेस्टमेंट दो फेज में करेगी और बाकी केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से आएगा. वहीं माइक्रोन के कम्पोनेंट सप्लायर भी राज्य सरकार की मदद से जगह की पहचान करने के आखिरी चरण में हैं.
आईटी मिनिस्टर ने बताया कि मुझे मिली जानकारी के अनुसार, माइक्रोन के पार्टनर के रूप में पांच कंपनियां सामने आयी हैं. इसके अलावा सरकार ने डिजिटल इंडिया RISC-V प्रोग्राम के तहत 2023-24 तक देश के पहले स्वदेशी चिपसेट को कमर्शियल रूप से पेश करने की समय सीमा तय कर दी है.
आईआईटी मद्रास और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (CDAC) ने IT मंत्रालय के माइक्रोप्रोसेसर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत ओपन सोर्स आर्किटेक्चर का यूज करते हुए, दो माइक्रो प्रोसेसर शक्ति (32-bit) और वेगा (64-bit) को विकसित किया है.
वहीं आगे जानकारी देते हुए, वैष्णव ने बताया कि सरकार 4-5 कंपोनेंट्स बनाने पर काम कर रही है. जहां भारत घरेलू जरूरतों को पूरा करने के साथ साथ ही दुनिया के अलग अलग देशों में एक्सपोर्ट करने के लिए एक ग्लोबल हब भी बन सकता है.