SUVs in India: ग्लोबल एनसीएपी के कार्यकारी अध्यक्ष डेविड वार्ड ने भारत में स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल (SUV) के बढ़ते चलन को देखते हुए आगाह किया है, कि भारत को वह गलती नहीं दोहरानी चाहिए जो यूनाइटेड स्टेट ने अमेरिका में ज्यादा स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) की बिक्री को बढ़ावा देकर की है. क्योंकि ये पैदल चलने वालों के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं, जिसकी वजह इन गाड़ियों का बोनट या हुड है, जिसकी ऊंचाई अन्य गाड़ियों के मुकाबले ज्यादा होती है और दुर्घटना के समय मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है. क्योंकि दुर्घटना की स्थिति में SUVs का बोनट सीधे शरीर के ऊपरी हिस्से से टकराता है.


लगभग हर सेगमेंट में बड़ी और भारी एसयूवी बेचने के लिए कार इडस्ट्री का लगातार दबाव, रोड सेफ्टी के लिहाज से अच्छी खबर नहीं है. खासकर छोटे और ज्यादा माइलेज वाले वाहनों और कभी कभार सड़क का यूज करने वालों के लिए भारत समेत अन्य देश जहां एसयूवी की मांग में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, जो सड़क और पर्यावरण दोनों के लिए चुनौती है.


वार्ड ने इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन और दो प्रमुख संयुक्त राष्ट्र संगठन UNESCAP और UNECE के द्वारा आयोजित, ग्लोबल रोड सेफ्टी इनिशिएटिव मीट में बोलते हुए कहा, कि सरकारों को बड़ी गाड़ियों की बिक्री को डिसकरेज करना चाहिए. क्योंकि हाल के कुछ वर्षों में कारें भारी, लंबी और ज्यादा दमदार हुई हैं.


अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो, भारत में एसयूवी की बिक्री पिछले पांच सालों में लगभग दोगुनी हुई है और अब ये सालाना पैसेंजर व्हीकल की बिक्री का लगभग आधा हिस्सा हैं. वार्ड के मुताबिक, भारत ने गाड़ियों की सुरक्षा में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं. अब उसे अमेरिका के उदाहरण का अनुसरण नहीं करना चाहिए. क्योंकि पश्चिम देशों के उलट भारत में दुर्घटना के समय होने वाली मौतों में कारों के बाहर संख्या ज्यादा होती है. 2022 के आंकड़े देखें तो, भारत में सड़क पर होने वाली 1.68 लाख मौतों में केवल टू व्हीलर सवार और पैदल यात्रियों की संख्या एक लाख से ज्यादा थी.


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