EVs के OEM से पता चल जाती है ड्राइवर की गलती! भविष्य में झूठे इंश्योरेंस क्लेम रोकने के लिए भी हो सकता है डेटा का इस्तेमाल
इस समय देश में बड़ी संख्या में EV लॉन्च किए जा रहे हैं. नई इलेक्ट्रिक कारों और दोपहिया वाहनों को ढेरों कनेक्टेड फीचर्स के साथ लॉन्च होते देखना एक आम बात होती जा रही है.
इस समय देश में बड़ी संख्या में EV लॉन्च किए जा रहे हैं. नई इलेक्ट्रिक कारों और दोपहिया वाहनों को ढेरों कनेक्टेड फीचर्स के साथ लॉन्च होते देखना एक आम बात होती जा रही है. हालांकि, इनमें से काफी फीचर्स ऐसे होते हैं, जिनका हमारे ड्राइविंग अनुभव के लिए बहुत महत्वपूर्ण योगदान नहीं होता है. इनमें वॉयस कमांड, लेटेस्ट न्यूज प्राप्त करना और वाहन की जियो-फेंसिंग जैसी चीजें शामिल हो सकती हैं. लेकिन, सिर्फ ऐसा ही सोचना पूरी तरह से सही नहीं होगा. एक कनेक्टेड व्हीकल आमतौर पर वाहन के आंकड़ों और ड्राइविंग व्यवहार से संबंधित बहुत सारे डेटा एकत्र करता है. यह डेटा सुरक्षित रूप से ओईएम (Original Equipment Manufacturer) को प्रेषित किया जाता है और इसे कई तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है. चलिए, उदाहरण से समझते हैं.
हाल ही में, Ola S1 Pro ग्राहक का बेटा एक दुर्घटना का शिकार हो गया था और वह गंभीर रूप से घायल भी हो गया था. ग्राहक के अनुसार, स्पीड ब्रेकर के ऊपर जाते समय स्कूटर रुकने के बजाय खराबी के कारण और तेज हो गया था. इस दुर्घटना को लेकर ओला इलेक्ट्रिक की तरफ से प्रतिक्रिया जारी की गई. कंपनी ने दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना पर दुख व्यक्त किया लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि एक्सिडेंट में गलती ई-स्कूटर की नहीं थी.
कंपनी ने एक ट्वीट के जरिए हादसे के 30 मिनट पहले से लेकर हादसे तक के राइडर के राइडिंग स्टाइल को दिखाया. इसमें समय ग्राफ के विपरीत गति स्पष्ट रूप से दिखी, जिसमें पता चला कि ड्राइवर ई-स्कूटर को 100 किमी प्रति घंटे से अधिक गति से दौड़ा रहा था. इससे पता चला कि उसने (ड्राइवर) कई बार 115 किमी प्रति घंटे की शीर्ष गति को भी छूआ. ओला ने कहा, "उन्होंने घबराहट में ब्रेक लगाया, जिससे वाहन पर से नियंत्रण खो गया."
ओला के अनुसार, गलती स्कूटर की नहीं थी, राइडर की थी. आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सभी तीन ब्रेक (फ्रंट, रियर और रीजनरेटिव) लगाए गए थे और "इसने 3 सेकंड में गति को 80 किमी प्रति घंटे से 0 किमी प्रति घंटे तक कम कर दिया".
ऐसा पूरा डेटा ईवी वाहन के ओईएम के पास होता है. ऐसे डेटा का इस्तेमाल वाहन चलाने वाले व्यक्ति की ओर से बीमा या लापरवाही के झूठे दावों की पहचान करने में मदद कर सकता है.
इतना ही नहीं, सुरक्षा प्रणालियों को और विकसित करने और ड्राइवरों को शिक्षित करने के लिए व ड्राइविंग पैटर्न को समझने के लिए ऐसे डेटा का विश्लेषण किया जा सकता है. ये सभी पहलू देश में लापरवाह ड्राइविंग से होने वाली दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या को कम करने में मदद कर सकते हैं.
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