Surekha Yadav: देश में महिलाएं आज हर क्षेत्र में कई नए मुकाम हासिल कर रही हैं. महिलाओं का देश की तरक्की में योगदान दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. दुनियाभर में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने वाला है. वहीं इसी मौके पर आज हम बात करने जा रहे हैं, भारत की पहली महिला ड्राइवर सुरेखा यादव की. सुरेखा यादव ने अपने सपनों को साकार करने के साथ ही देश ही नहीं दुनिया में महिलाओं के आगे एक मिसाल पेश की है. आपको जानकर अच्छा लगेगा कि सुरेखा यादव पहली लोको पायलट बनने के साथ ही वंदे भारत ट्रेन चलाने वाली पहली महिला भी हैं.


एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर


सुरेखा यादव सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर हैं. साल 1989 में सुरेखा यादव ने पहली बार ट्रेन चलाई थी, तभी से उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. लोको पायलट के रूप में नौकरी करते हुए सुरेखा यादव ने ये बात स्पष्ट कर दी, अब महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकती हैं. इनसे पहले भारतीय रेल में कोई भी महिला ड्राइवर नहीं थीं.


ट्रैक पर दौड़ाई वंदे भारत एक्सप्रेस


देश की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर सुरेखा यादव रेल की पटरियों पर वंदे भारत एक्सप्रेस भी दौड़ा चुकी हैं. सुरेखा यादव ने साल 2023 में 13 मार्च को पहली बार वंदे भारत ट्रेन चलाई थी. सुरेखा यादव देश की सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत सोलापुर से लेकर मुंबई पहुंचीं और अपने एक और सपने को इन्होंने साकार किया. 


34 साल के करियर में पाईं ये उपलब्धियां


सुरेखा यादव वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने के बाद बेहद खुश थीं. उन्होंने इस अवसर के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद भी कहा था. सुरेखा यादव ने कहा था कि '1989 में मेरी नियुक्ति हुई थी. मैं पिछले 34 साल से काम कर रही हूं. मुझे मेरे माता-पिता और सास-ससुर का सहयोग मिला. मेरे पिता ने मुझे अच्छी शिक्षा दी जिसकी वजह से मैं आज इस मुकाम पर हूं. वंदे भारत ट्रेन मुंबई लाने के लिए मैं पीएम मोदी का शुक्रिया अदा करती हूं'.


इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की ली शिक्षा


सुरेखा यादव ने अपने करियर में जो ऊंचाई हासिल की है, इससे वो सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन हई हैं. सुरेखा यादव का जन्म महाराष्ट्र के सतारा में हुआ था. इसी राज्य के सरकारी पॉलिटेक्निक से सुरेखा यादव इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुकी हैं. साल 1989 में उन्होंने लोको पायलट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और आज देश की हर महिला के लिए मिसाल बन चुकी हैं.


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