Passenger Vehicles Sales: वित्त वर्ष 2024 में होगी चार मिलियन से अधिक नए पैसेंजर व्हीकल्स की बिक्री, बनेगा नया रिकॉर्ड
मारुति सुजुकी इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक ने कहा कि मारुति सुजुकी ने पिछले 10 वर्षों में अपनी पीवी बाजार हिस्सेदारी 42% से अधिक रखी है और अब एसयूवी भी बिक्री में महत्वपूर्ण योगदान देती है.
Passenger Vehicles: भारतीय बाजार का पैसेंजर्स व्हीकल सेगमेंट चालू वित्त वर्ष में एक नए शिखर को छूने के लिए तैयार है, एक रिपोर्ट के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में 4 मिलियन से अधिक यूनिट्स की बिक्री होगी, जिसमें करीब आधी संख्या एसयूवी वाहनों की होगी. एक दशक पहले यात्री वाहनों की बिक्री 2.5 मिलियन यूनिट थी. हालांकि कोविड लहर की शुरुआती अवधि के दौरान गिरावट के बाद अब इस उद्योग ने गति पकड़ ली है. उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, 31 मार्च, 2023 को समाप्त वित्तीय वर्ष में यात्री वाहनों की बिक्री रिकॉर्ड 3.8 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई, जो इस वित्तीय वर्ष में 4.1 मिलियन यूनिट की बिक्री के साथ टूट जाएगा.
एसयूवी सेगमेंट का बढ़ा बाजार
इस साल एसयूवी की बिक्री लगभग 1.9 मिलियन यूनिट होने की उम्मीद है, जबकि 10 साल पहले वित्त वर्ष 2014 में यह केवल 363,000 यूनिट ही थी. ऑटोमोबाइल कंसल्टेंसी जाटो डायनेमिक्स के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक दशक में कुल बिक्री में हैचबैक और सेडान की हिस्सेदारी 71% से गिरकर 40% हो गई है. एसयूवी कार कंपनियों के लिए मजबूत विकास के लिए एक महत्वपूर्ण सेगमेंट बनी हुई हैं. हुंडई मोटर इंडिया के मुख्य परिचालन अधिकारी तरुण गर्ग ने कहा, "पहली बार एसयूवी पसंद करने वाले खरीदारों का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है, 46-47% के उद्योग योगदान के मुकाबले हमारी कुल बिक्री में लगभग 60% का योगदान एसयूवी कारों का है." वहीं कुछ निर्माताओं के पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट से बाहर निकलने से बाजार में ब्रांडों की संख्या कम हो गई है.
बदल रही हैं ग्राहकों की प्राथमिकताएं
मारुति सुजुकी इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि मारुति सुजुकी ने पिछले 10 वर्षों में अपनी पीवी बाजार हिस्सेदारी 42% से अधिक रखी है और अब एसयूवी भी बिक्री में महत्वपूर्ण योगदान देती है. हालांकि पहले कंपनी की सबसे ज्यादा बिकने वाली छोटी कारों की बिक्री घट रही है. पिछले दशक में न केवल एसयूवी के लिए, बल्कि पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के प्रति भी ग्राहकों की प्राथमिकताओं में बदलाव देखने को मिला है. उद्योग विशेषज्ञों को उम्मीद है कि इन वाहनों की बाजार हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2014 के 41% मुकाबले वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 66% तक पहुंच जाएगी. इसी अवधि में डीजल वाहनों की मांग 51% से घटकर 18% होने का अनुमान है.
घट रही है डीजल वाहनों की डिमांड
जाटो डायनेमिक्स के अध्यक्ष रवि भाटिया ने कहा, “डीज़ल वाहनों की बिक्री में इस गिरावट को पर्यावरणीय चिंताओं और सख्त उत्सर्जन नियम बड़े कारण हैं. कई एसयूवी, एमपीवी और वैन अभी भी डीजल सेगमेंट में उपलब्ध हैं, लेकिन सीएनजी, ईवी और हाइब्रिड भी वैकल्पिक ईंधन विकल्पों के रूप में लगातार लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं, जो स्वच्छ और अधिक लागत वाले ईंधनों के विकल्पों के तौर पर जाने जाते हैं."