Car Crash Test: साल दर साल बढ़ रहे दुर्घटना के आंकड़ों को देखते हुए, अब कार खरीदने वाले ज्यादातर ग्राहक कार के डिजाइन और फीचर्स के साथ-साथ गाड़ी की सेफ्टी रेटिंग भी चेक करते हैं. ताकि उस कार में सफर के दौरान सुरक्षित फील किया जा सके. लेकिन कोई कार कितनी सुरक्षित है और इसे ये रेटिंग कौन देता है. आगे हम आपको इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं.


इंसानों की डमी का किया जाता है प्रयोग


किसी भी कार को सेफ्टी रेटिंग देने के लिए उसका क्रैश यानि एक्सीडेंट टेस्ट करना होता है. जिसके लिए बड़े इंसानों और बच्चे की डमी का प्रयोग किया जाता है. बड़े इंसान की डमी को फ्रंट सीट पर और बच्चे को पीछे की सीट पर चाइल्ड सेफ्टी मानक के अनुसार बिठाया जाता है. इसके बाद कार की टक्कर एक मजबूत दीवार जैसी चीज से कराई जाती है. फिर इसके बाद कार के सेफ्टी फीचर्स का आंकलन किया जाता है. कि किस फीचर ने कितना काम किया और कार कितनी डेमेज हुई. इसी के आधार पर कार को सुरक्षा रेटिंग दी जाती है.


भारत में शुरू होगी रेटिंग प्रणाली


वर्तमान समय में गाड़ियों को सुरक्षा रेटिंग देने के लिए भारत में कोई संस्था नहीं है. अभी गाड़ियों की रेटिंग ग्लोबल एनकैप, यूरो एनकैप जैसी विदेशी संस्था देती हैं. जिसके लिए भारत में बनी कारों को बाहर भेजना होता है. लेकिन जल्द ही देश में गाड़ियों की सुरक्षा जांचने के लिए संस्था को तैयार किया जा रहा है. जिसका नाम भारत एनकैप होगा.


कितनी सुरक्षा रेटिंग जरुरी


सुरक्षा के लिहाज से अगर देखा जाये तो किसी भी गाड़ी का कम से कम 4 स्टार रेटिंग होना जरुरी है. ताकि किसी भी दुर्घटना कि स्थिति में उस गाड़ी में सफर करने वाले यात्रियों को कम से कम नुकसान पहुंचे. इस समय भारत में सबसे सुरक्षित कारों की लिस्ट में स्कोडा कुशाक और फॉक्सवैगन ताइगुन पहले नंबर पर हैं. इन दोनों कारों को 5 स्टार रेटिंग दी गयी है.


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