फर्स्ट पार्टी और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में अंतर क्या होता है? टू व्हीलर या कार का बीमा कराने से पहले ये जानना है जरूरी
इंश्योरेंस भविष्य में किसी नुकसान या फिर दुर्घटना की आशंका से निपटने के लिए बहुत जरूरी होता है. गाड़ी का बीमा नहीं होने पर भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है.
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केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री मंत्रालय ने पिछले साल नियमों में बदलाव किए हैं जिसके बाद सड़क पर अब बिना इंश्योरेंस के गाड़ी चलाना आपको महंगा पड़ सकता है. जब बीमा की बात आती है तो दिमाग में दो तरह के बीमा आते हैं एक फर्स्ट पार्टी बीमा और एक थर्ड पार्टी बीमा. कौनसा बीमा फायदेमंद है या फिर इन दोनों में क्या फर्क है आज की रिपोर्ट में हम आपको यही बता रहे हैं. आइए जानते हैं इंश्योरेंस के बारे में.
क्यों जरूरी है बीमा? बीमा यानी इंश्योरेंस भविष्य में किसी नुकसान या फिर दुर्घटना की आशंका से निपटने के लिए बहुत जरूरी होता है. कल क्या होने वाला है इसका किसी को पता नहीं होता है, इसलिए वाहन चोरी हो जाना, गाड़ी का एक्सीडेंट होने पर इंश्योरेंस के जरिए ही नुकसान की भरपाई होती है. अगर कोई बीमा कंपनी गाड़ी का बीमा करती है तो इसके नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी करेगी.
फर्स्ट पार्टी बीमा और थर्ड पार्टी बीमा में अंतर थर्ड पार्टी बीमा वह होता है, जिसका लाभ गाड़ी के मालिक और बीमा कंपनी की बजाय किसी तीसरे पक्ष को हासिल होता है. इस इन्श्योरेंस में थर्ड पार्टी वह होता है, जिसे नुकसान की भरपाई की जाती है. फर्स्ट पार्टी वह होता है, जो इस पॉलिसी को खरीदता है. सेकेंड पार्टी उस कंपनी को कहा जाता है जो इसे जारी करती है. कानून के मुताबिक हर वाहन के लिए थर्ड पार्टी बीमा जरूरी होता है. थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के बिना आप अपने वाहन को नहीं चला सकते हैं. इसमें किसी दुर्घटना में तीसरे पक्ष को या उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचने पर उसका खर्च बीमा कंपनी उठाती है. फर्स्ट पार्टी बीमा ऐच्छिक होता है और इसका दायरा भी बड़ा होता है. इसके तहत बीमा कंपनी दोनों पक्षों के नुकसान की भरपाई करती है.
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